#anilbhatpahari
हसदेव के रोदेव
बरसा म नंगत
चिखला सनाय
जर-जुड़ म
सनफनाय/सकपकाय
जाड़ म बड़ कांपत
ओढे कथरी बिचारा
जेठ जरय भोंभरा
तभो ले आ जय उघरा
रहय भले लरा- जरा
देख कठल हस देव
अब आथे सग
सगा कभु- कभु
साजे -संवागा
आनी- बानी धरे
खई -खजाना
मोटर बजावत पो-पो
देखनी उड़थे गांव म गो
कत्कोन मोका जथे
कत्कोन ओसने लहुटे जथे
दया -मया छोड़ होगे नेंग चारी
सुन्ना खेत खार बारी
देखते देखत का गत होगे
मनखे के साध ले सब उजरगे
नदिया सुखावत
मरत जीव जन्तु पियास
कल - कारखाना ले
धुंआ भरत अगास
उजरत जंगल खिरत पहाड़
सुसकत कलेचुप धरती
बल खियात मनखे के
बानी बिसरात मनखे के
उजरत सबके रवती
रकम-रकम के बिमारी
अउ का-का नइ सचरही
सिरतो कहें संगी त
पटन्तर हसदेव
देखवउटी मनखे के सान
लगथे रो देव
-डा. अनिल भतपहरी / 9617777514
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