Friday, May 27, 2022

हसदेव के रो देव

#anilbhatpahari 

हसदेव के रोदेव 

बरसा म नंगत 
चिखला  सनाय 
जर-जुड़ म 
सनफनाय/सकपकाय 
जाड़ म बड़ कांपत 
ओढे कथरी बिचारा
जेठ जरय भोंभरा 
तभो ले आ जय उघरा
रहय भले लरा- जरा  
देख कठल हस देव 
अब आथे सग 
सगा कभु- कभु 
साजे -संवागा 
आनी- बानी धरे 
खई -खजाना 
मोटर बजावत पो-पो 
देखनी उड़थे गांव म गो 
कत्कोन मोका जथे 
कत्कोन  ओसने लहुटे जथे 
 दया -मया छोड़ होगे नेंग चारी 
सुन्ना खेत खार बारी 
देखते देखत का गत होगे 
मनखे के साध ले सब उजरगे 
नदिया सुखावत 
मरत जीव जन्तु  पियास
कल - कारखाना ले 
धुंआ भरत अगास 
उजरत जंगल खिरत पहाड़ 
सुसकत कलेचुप धरती
बल खियात मनखे  के 
बानी  बिसरात मनखे के
उजरत  सबके रवती  
रकम-रकम के बिमारी 
अउ का-का नइ सचरही 
सिरतो कहें संगी त
 पटन्तर हसदेव 
 देखवउटी मनखे के सान  
 लगथे रो देव 

          -डा. अनिल भतपहरी / 9617777514

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