#anilbhatpahari
आपके वास्ते छकड़ी हमरी
।।सुख के गांजव खरही ।।
जाय ल परही एकदिन सब ल ओसरी पारी
कोनो खुंटा गाड़ के इंहा रहय नही संगवारी
रहय नही संगवारी तय कर ले धरम- करम
हरहिंछा जी ले झन राखो इरखा भेद-भरम
सुघ्घर पहाव जिनगी सुख के गांजव खरही
ढ़रकत हे बेरा इंहा अब उहां जाय ल परही
बिंदास कहे - डा. अनिल भतपहरी
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