आपके वास्ते छकड़ी हमरी
।।बेख़बर ।।
अमां इतना तो ख़बर हैं
नकाब बिन सब दिगंबर हैं
पर यह क्या हर कोई बेख़बर हैं
भले बाहर से लग रहा रहबहर हैं
पर खौफ़ज़दा अंदर ही अंदर हैं
क्योंकि पहरा अब हर घर पर हैं
बिंदास कहें -डॉ.अनिल भतपहरी
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