Monday, February 15, 2021

रोंगोबती


DrAnil Bhatpahari, profile picture

प्रेम दिवस यानि वेलेन्टाइन डे पर -

।।रोगोंबती ।।

यह अपार लोकप्रिय प्रेम गीत जो लोकगीत सदृश्य हो चूके है "पश्चिमी ओडिशा" की जनपदीय भाषा कोसली में है जो संबलपुरी के नाम से बहुप्रचलित है। 1970 में यह गीत सबसे पहले ऑल इंडिया रेडियो में रिकार्ड हुआ और जल्द ही यह लोगों की जुबान पर चढ़ गया। 1978 में यह रेकॉर्ड के रूप में आम जनता को प्राप्त हुआ और इस गीत ने पॉपुलरटी की जो ऊंचाई छुई, वह बेमिसाल है। इस गाने का प्रभाव ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड और पूर्वी बंगाल में ज्यादा रहा है। यह युगल गीत जितेंद्र हरिपाल (पद्मश्री 2017) और गायिका कृष्णा पटेल की आवाज में है। गीत मित्रभानु गौंटिया ने लिखा था और संगीत दिया था प्रभुदत्त प्रधान ने।

यह गीत की लोकप्रियता के आलम ये है कि यह 
छत्तीसगढ़ और ओडिशा में पिछले 40-45 सालों से लेकर आज तक शायद ही कोई बारात होगी, जिसमें इस गीत की धुन न बजती हो और लोग बिधुन होकर न नाचते हों। बारात के साथ साथ मूर्ति विसर्जन में भी यह खूब बजता है। यह इसलिए भी खास है कि यह अवाम का गीत है। क्या अमीर, क्या गरीब। सबको एक ही भाव मे यह नचाता रहा है। 2007 में इस गाने की धुन गणतंत्र दिवस परेड में ओडिशा की ओर से पेश की गई थी। यह कटक के बाराबती स्टेडियम का चीयर सांग भी है। रोगोंबती चीन और कोरिया में भी पेश किया गया है। हिंदी और तेलुगु फ़िल्म में आ चुका है। छत्तीसगढ़ी में इस नाम से अभी फ़िल्म भी बनी है। इस वर्ल्ड हिट गीत को कोक स्टूडियो ने नए वर्जन में सोना महापात्र की आवाज में बेहद खूबसूरती से पेश किया है। इसे भी एक बार जरूर सुनें। (लिंक कमेंट बॉक्स में)

प्रस्तुत वीडियो पुराना है पर ओरिजिनल साउंडट्रेक में है। रिकार्डिंग का स्तर भी पहले का है पर फीलिंग वही है, मजा वही है जो हम आप सबको इसकी धुन में बैकग्राउंड में बजते ढोल की रिदम सुनकर आता है। तो एक बार सुन ही लिया जाए ... एहे रोगोंबती... ए रोंगोबती... 🎶🎵

Dr Anil bhatpahari

मैसुर में रोंगोबती

रोंगों बती की बात छिड़ी तो बता दे २०१२ में इन्टर स्सेट होम स्टे प्रोग्राम में हम लोग २५०० सदस्य नैनो टीम इंडिया के सदस्य थे।
प्रत्येक राज्य से २२ सदस्य जिसमे १० लडंके १० लड़की २ पु म कार्यक्रम अधिकारी ।
हमे छत्तीसगढ़ टीम प्रभारी का बड़ा दायित्व मिला। साथ में कटघोरा कालेज से बिस्वाल मेडम थी।
सभी राज्य अपनी पारंपरिक वेषभूषा में लोक नृत्य आदि प्रस्तुत करते।
हमलोग पंथी करमा जस कर विशिष्ट पहचान बना लिए थे। और आयोजको के दुलारे हो गये थे।
मैसुर वि वि परिसर के आटोडोरियम में प्रति दिन प्रस्तुतियां होते थे।
एक दिन शहर में शोभायात्रा निकला और समापन महाजना कालेज में हुआ। वहाँ विराट मंच बने थे कर्नाटक सरकार की मंत्रिमंडल और अधिकारी गण अतिविशिष्ट और हजारों छात्र छात्राएं व प्राध्यापक वृन्द थे।
हम लोग की पंथी रंग जमा चुके थे और भक्ति की सोता फूट गये और अनेक लोग झुम उठे थे।
हमारा सम्मान भी हो गया था।
पर जब उडीसा की बारी आई और उनके कार्यक्रम अधिकारी आकर हमसे कहे कि रोंगोबती ग्रुप डांस के लास्ट अंतरा में आप और हम स्टेज में डांस करेन्गे ।मैने कहा ठीक है।
जैसे ही लास्ट अंतरा में उडीसा के महाविद्यालयीन छात्र छात्राओं के साथ भनेश्वर कालेज के प्रो रबिशंकर मिश्रा जी और पलारी छत्तीसगढ़ कालेज के डां अनिल भतपहरी एन्ट्री किए पुरा मैदान के आडियंस एक साथ रोन्गोबती गीत में थिरकने लगे।
आनंद और उत्साह का ऐसा मंजर सच में पहली बार देखा कि प्रेम भरा लोक गीत एंव धुन मे वह कमाल है जो भाषा राज्य और संस्कृति की दीवार को लांध जाते हैं। 
नृत्यांगनाएं उड़ीसा की सुप्रसिद्ध नक्षत्र माला साडी ही पहनी थी जो उक्त वीडियो में नायिका पहनी है।
-डा अनिल भतपहरी

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