।। जय छत्तीसगढ़ ।।
सिव भोले बबा हमर पारबती दाई ये
राम हर भांचा हमर किसन बड़े भाई ये
बुध बबा के चरन परे हे कबीर तको संघरे हे
गुरु घासी के बानी हर चारों खूंट मं बगरे हे
ते पाय के हांसी -खुसी मं जिनगी ह बितत हे
मया -पिरित मं हमर दुनियां सब रिझत हे
दया -धरम के बसती मया पिरित के ठांव
सरग ल सुघ्घर लागय संगी छत्तीसगढ़ के गांव ...
ज्ञानी ध्यानी रिसी मुनि के माटी नित नित करव परनाम
जनम धरव मंय लहुट लहुट के छत्तीसगढ़ पावन धाम ....
-डा. अनिल भतपहरी
टीप - आरुग फूल से सम्मानित २००७ में सद्य: प्रकाशित हमारी काव्य संग्रह " कब होही बिहान" के अंश ।
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