"विचार"
फुर्सत के छण
छुट्टी के दिन
महिनों लपटाए
सेमीनार को
हटाते हुए
जेहन में
विचार कौंधा
बडी हसरत से
जिसे लगाया
पानी सींचे
खाद और
दवाई डाल
जतना पाला पोसा
परिश्रम तब सफल
हुआ और आपार
खुशियाँ मिली
जब उनकी फलियाँ
रसोई में पककर
सीधे गले उतरी
केवल स्वाद ही नही
इसी जेहन में
समा गई
उनकी गुण
और स्वरुप
इलाहाबाद विश्वविद्यालय
के सेमीनार में
जाना कि इनके बीज
बादाम सदृश्य हैं।
किसी मित्र को गिफ्ट देना
तो ताजी सेमी
पैक कराकर दे
और उन्हें सेहतमंद करे
महगी मिठाईयां खिलाकर
उन्हे बिमार न करे
तब से उगाने लगा
घर की क्यारियोंं गमलों में
मनीप्लांट की तरह सेमियां
आज जब वह उजडे
तो लगा जैसे कोई
अपने चले गये दूर
छु छु उनकी पाती फूल
तोड तोड कर उनके फल
मिलते खुशियाँ हर पल
छत में फैले झुरमुट के नीचे
बैठ ग्रीन टी पीते पढते अखबार
और लिखते सोशल मीडिया में
तरह तरह के विचार
उनके उजडने से
एक पल ठिठक गये
मन में उठते विचार
जैसे चले गये कोई अभिन्न
करके मन को खिन्न
जाना तो पडता हैं सभी को
देकर खुशियाँ बाटकर फलियाँ
जब अदना सेमीनार स्मृत होते हैं
तब वर्षों आसपास रहते लोग क्यो नहीं
मनुष्य बडा स्वार्थी हैं
भले उसे सब स्मृत रहे
पर द्वेष वश उनकी बुराईयां
ही गिनते हैं
एक दूसरे से धिनाते
कुत्ते बिल्ली पाल ले
पर इंसान नही
अच्छाई नजर नही आते
क्योकि खुद को अच्छा होने
के आवरण में ढांक कर
आत्म दर्प में जीते हैं
भले कहे अच्छे -बुरे सभी है
पर कभी अच्छाई
देखे ही नही जाते
यह अलग बात हैं कि
अक्सर कहे जाते हैं
कि मर कर देवता बन जाते हैं
मतलब अच्छा या देवता बनना हैं
तो मरना ही पडेगा
जीते जी न अच्छा हो
और देवता होने का तो प्रश्न ही नहीं
भले उजड गये सेमीनार
पर न उजडे विचार
यु चलता रहे विचार ....
क्योंकि विचार से
विकसित होते हैं गुण
जो जाने बाद भी बचे रह जाते हैं
जैसे स्वादिष्ट सेमी के बीज
सम्हाल कर रख लिए हैं
अगले सीजन के लिए
वैसे ही विचार सहेज लिए जाते हैं
अपने अपने मिशन के लिए
डा- अनिल भतपहरी
अमलीडीह रायपुर
११-२ २०१८
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