Thursday, July 24, 2025

सतनाम पंथ न कि आंदोलन

सतनाम पंथ ( धर्म) के अनुयायियों का आंदोलन 

  हमारे बुद्धिजीवियों लेखकों विचारकों के साथ साथ सामाजिक पदाधिकारियों राजनेताओं गुरुओं साधु संतों महंतो द्वारा जाने अनजाने बात चित या संबोधन लेखन आदि में सतनाम पंथ धर्म को सतनाम आंदोलन या Satnam Movement कहे जाते हैं या साधारणतः झोंक या लहज़े में निकल आते हैं इसके कारण थोड़ी असमंजस की स्थिति निर्मित हो जाती हैं। फिर सतनाम पंथ में जातिप्रथा उच्च नीच जैसा भेदभाव जन्य परिस्थिति भी नहीं हैं। और यह एक तरह से सामाजिक क्रांति( social  revolution )के द्वारा प्रतिष्ठित हैं। आंदोलन शब्द संघर्षरत लोगों के बीच अत्यंत लोकप्रिय हैं फलस्वरुप सतनाम को आंदोलन समझ लिए जाते हैं। जब हक अधिकार  लिए संघर्ष करते जनसमूह जय सतनाम का उदघोष करते नारा लगाते हैं तो एक बारगी बोलचाल में सतनाम आंदोलन कह बैठते और इस तरह सतनाम का व्यापक समावेशी अर्थ संकुचित और संकीर्ण हो जाते हैं।  
   वर्तमान समय में सतनाम आंदोलन शीर्षक लिए हुए कुछेक पुस्तकों के प्रकाशन और उनके प्रतिष्ठित लेखकों के कारण भी। बड़ी तेजी से अपने और गैर भी सतनाम को आंदोलन समझ रहे हैं हमारे लोगों की दृष्टि में व्यापक अर्थ तो हैं जैसा कि उनके मनो मस्तिष्क में बैठा है परन्तु जो गैर हैं वह उसे। स्वतंत्रता आंदोलन, राम जन्म भूमि आंदोलन, चिपको आंदोलन, किसान आंदोलन, मजदूर आंदोलन, रेल रोको आंदोलन जैसे अर्थों में लेने और समझने लगे हैं। इसलिए विनम्र आव्हान और निवेदन हैं महान युगांतरकारी समानता पर आधारित जाति वर्ण विहीन सतनाम  धर्म ( पंथ)को सतनाम आंदोलन नाम से संबोधित करने लिखने समझने की भूल न करें।

गुरु घासीदास ने तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था को देखते हुए  पुरी यात्रा की वहां संगत से प्रेरित वापसी में चंद्रसेनी की बलि प्रथा देख उद्वेलित हुए। गिरौदपुरी घर न आकर सीधे तप साधना हेतु सोनाखान जंगल चले गए। 
और जब  लौटे तो कुछ सिद्धिया/ सिद्धांत लेकर समाज के समक्ष रखें। उसी क्षण  सतनाम पंथ का प्रवर्तन हो गया। उन्होंने कुछेक नियम नीति बनाए और सतत प्रचार प्रसार करते  उपदेश वाणी दृष्टांत कहते जन जागरण किया। यह भी मानव समुदाय के लिए नवीन जीवन पद्धति यानि आध्यात्मिक मार्ग हैं। जैसे बुद्ध का बौद्ध धम्म, कबीर का कबीर पंथ,रैदास का रैदासी पंथ नानक का सिख खालसा पंथ।  ठीक गुरु घासीदास का सतनाम पंथ हैं न कि आंदोलन।
हा बौद्धों, जैनों ,हिंदुओं, ईसाइयों, कबीर पंथियों का आंदोलन हुआ,थमा, दबा और   फिर होगा। ठीक सतनामियो का आंदोलन हुआ थमा या दबा। फिर हुआ,हो रहा हैं । पर पंथ मत मजहब धम्म आदि सदैव रहेगा। वह आंदोलन नहीं हैं। यह दर्शन,पूजा पद्धति और जीवन निर्वाह का तरीका हैं। या कहे धर्म हैं यह कैसे आंदोलन होगा?
   विगत 25 वर्षों से यह कहते आ रहे हैं कि सतनाम पंथ या धर्म हैं। इनके माध्यम से जनजागरण हुआ और हक अधिकार के लिए समय समय पर अनुयायियों ने आंदोलन किए। यह आंदोलन सतनाम नहीं बल्कि सतनामियों का आंदोलन हैं।
इस महीन और सूक्ष्मतम परंतु आधार भूत अन्तर को समझना चाहिए।
एक 80_90 वर्ष का बुजुर्ग के लिए, अपाहिज  बीमार और कातर दुःखी लोगों के लिए सतनाम सुमरन आध्यात्मिक शांति सुख  और आत्मबल के लिए कामना करना हैं।  न कि हक _अधिकार के लिए आंदोलन। 
   इन सभी बातों को गहराई से समझना चाहिए।
सतनामियों का आंदोलन सतनामियों की क्रांति, सतनामियों का संघर्ष हैं। न कि सतनाम आंदोलन क्रांति या संघर्ष।
इस अन्तर को समझिए और लोगों को समझाये।
अन्यथा अच्छा खासा पंथ/धर्म sect & Relegin को आम लोग केवल आंदोलन या क्रांति movement & revalation मान लेंगे।

जय सतनाम

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