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बुद्ध पूर्णिमा पर सूत्र वाक्य व सूत्र कथ्य
1.तथागत बुद्ध के अनेक नामों में से एक प्यारा नाम "सच्चनाम" है।
2यह नाम भाववाचक संज्ञा है। जिसका चित्त हृदय मन पवित्र और परम सतमय हो जाते है उसे सच्चनाम कहते हैं।
3संतमत में सतनाम ,सत्पुरुष और निर्वाण,सतलोक के ऊपर गहरी आस्था हैं।
4 सतनाम धर्म को आदि धर्म की भी संज्ञा दी जाती है।
5सत्पुरुष और सत्यवती (आद्या देवी, अस्टंगी देवी) के पुत्र ब्रम्हा,विष्णु, महेश माने जाते है।
5 श्रमण संस्कृति में सतनाम का अतिशय महत्व है
6 सतनाम संस्कृति में परिश्रम, जप ,तप त्याग और सादगी पूर्ण जीवन यापन की बाते है।
7 सत्संग,शोभायात्रा, और कृषि जनित पर्व उत्सव मानने महापुरुषों की जयंती मानने की संस्कृति हैं।
सतनाम को विविध भाषा और परिक्षेत्र में निम्नवत समझे जा सकते हैं।
1पालि में "सच्चनाम" एशिया सहित सभी बौद्ध देश
2मराठी सहित अन्य भारतीय भाषा में "सत्थनाम" महाराष्ट्र कोकन
3छत्तीसगढ़ी कोसली उड़िया में "सतनाम "छत्तीसगढ़ उड़ीसा
4ब्रज अवधि में "सत्तनाम "उप बिहार नेपाल
5हिन्दी में सत्यनाम संपूर्ण भारत
6पंजाबी में "सतिनाम "
7रेखता उर्दू फारसी में "शतनाम "इस्लामिक देशों में
(सूफी संत इनका प्रयोग करते हैं)
इस तरह सतनाम की 7 विशिष्ट उच्चारण जम्बूद्वीप भारत वर्ष में रहा हैं। जिसपर करोड़ों लोगो की आस्था है।
डॉ अनिल कुमार भतपहरी/ 9617777514
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