Sunday, May 28, 2023

तन तिजौरी म ( दो भजन )

[5/24, 09:25] Anilbhatpahari: तन के तिजौरी म रतन भरे हे सब मनखे गुन के खान 
बनना निगड़ना अपन हाथ म  सब  संगत के पहिचान 

खेलत खात रात दिन जिनगी ह पहावय ।
छप्पन भोग करथे तभो ल ये मन नइ अघावय ।/
 मन भंवरा मतवार किंदरय ,कर रुप मदिरा पान ...

मया पीरित बर बिहाव लगिन कराये गौना 
ये जग ब इरी जहर महुरा लागे मीत मतौना 

अब तो अधियागे खिरत हे, सबो आन -बान

जग अंधियार सुझै न कछु ,अब तो का करन गा 
तन डोलत हे मन हे भारी अब तो  गुरु शरन जा 
एक साहारा हवय  संतो ,सुमर ले सतनाम ....
[5/24, 10:16] Anilbhatpahari: तन के तिजौरी म रतन भरे हे, दया मया सद्भाव 
बनना बिगड़ना अपन हाथ म सब संगत के प्रभाव 



जेन बोबे तेन लुबे संगी,खेत हो या हिरदय 
अलकर दु: ख का कहिबे संगी,
सहर पहर बन किंदरय 
मन म  तोर सइता नइये त कछुचों आव जाव ....


बीच गली म  डांग गड़ा के खेलत हे  डंगचघहा 
बीच भंवर म डोंगा फंसगे  तउरत हे डोंगहा
सद्गुरु हवे एक सहारा उही करहि नर न्याव ...

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