कहे बिंदास अनिल भतपहरी
आपके वास्ते छकड़ी हमरी
बिधान बांटे हे मनखे ल त बिधानेच ह जोड़ही।
गुन्निक मन गुनत सुम्मत के,रद्दा ल चत्वारही।।
गर जोर जुलुम बर कउनो नंवा उदिम सिरजाही!
त कलेचुप सडयंत्री के डेना धर गद्दी ले उतारही।।
कखरो जोर-जुलुम तइहा कस अब चलय नही।
घेरी-बेरी कठुआ के हाड़िया हर चुल मं चढ़य नही ।।
-डा. अनिल भतपहरी
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