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समसामयिक
सेक्युलर यानि धर्म/ पंथ/संप्रदाय निरपेक्ष
शासन और प्रशासन किसी भी धर्म,पंथ, संप्रदाय को बढ़ावा नहीं देगा और न ही उनके आधार पर चलेगा । बल्कि संविधान सम्मत चलेगा। संविधान देश के नागरिकों के लिए उपयोगी या अनुपयोगी हैं के ऊपर संसद में परिचर्चा के उपरांत बहुमत के आधार पर लोक कल्याणार्थ संशोधनीय होगा।
मनुष्य और समाज का मौलिक अधिकार है कि वह अपनी पसंद या विरासत से धर्म पंथ संप्रदाय चयन कर सकता हैं। परन्तु शासन /प्रशासन का नहीं। यह सामान्य सा अर्थ हैं।
धर्म निरपेक्ष या सेक्युलर का यह अर्थ कदापि नहीं कि वह धर्म पंथ संप्रदाय आदि का विरोधी होगा बल्कि वह उनसे निर्लिप्त/ तटस्थ होगा और किसी एक को बढ़ावा नहीं देगा और न किसी दूसरे का प्रतिरोध करेगा। विशाल जनसंख्या,बहु धर्मी/विविधता पूर्ण जीवन शैली वाली इस उपमहाद्वीय महादेश में निरपेक्ष का आशय तटस्थ भाव हैं। शासन_ प्रशासन धार्मिक मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा। व्यक्ति और समुदाय स्वतंत्र हैं उन्हें धार्मिक आज़ादी मिली हुई हैं।
पार्टियां शासन _प्रशासन नहीं हैं ,उनकी अपनी धर्म /पंथ /संप्रदाय हो सकते हैं । परन्तु यदि वह सत्तारूढ़ हुई तो कतई सत्ता किसी धर्म पंथ संप्रदाय को बढ़ावा नहीं देगा। बल्कि संविधान के अनुरुप ही अपनी कार्ययोजना बनाकर जनता के कल्याणार्थ काम करेगी।
जय संविधान _जय भारत
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