Tuesday, November 19, 2024

बरजोरी


#anilbhattcg

संसो सचरत हे

मुनगा  सेमी के गोठ बात
सुनिस अनिल आधा रात
चढ़े हस तय हर मोर ऊपर
सबके नज़र हर तोर ऊपर

अई तय कइसे गुठियाथस
सहारा देंव कह अटियाथस
जानत हव तोर डारा हे रटहा
रहिथस ठोस हँव के भोरहा

कहाँ के लमेरा पतरेंगी मुड़ चढ़े
बने हरियाये छछले अउ गहिदें
चारों मुड़ा ले लपेट मुस्की बांधे
फूल फर धरिस तहा मुंह ल ऐठे

कइसे येमन होवत हे झगरा
उलचत एक दूसर बर अंगरा
घर गृहस्थी ल बड़ जरोवत हे
माया पिरीत ल नंगत सरोवत हे

सुग्घर  संघरा लपटाय राहय
चार दिन के जिनगी ल पहाय 
जात धर्म अलग त काके पियार
एक रुख त  एक हर नार बियार

ऊपर ले ये राजनीति के करंजन
लीगरी लगा के रचे हे बड़ अल्हन
इकर रीत नीत  अउ प्रवृति अलग
रंग रुप चाल ढाल संस्कृति अलग

ये जोजवा भोकवा ओ चलवंतीन 

कलर कइया माते इकर रातदिन 

हरके बरजे माने नहीं करें सीना जोरी ज

इसे बसुन्दरा मन के चले बर जोरी 

भले साग मे एमन संघरा मीठाय
फेर दुनों के संग चिटको नई सुहाय
मनखे कस जात धर्म बर जबर बैर बांधे
इंकर झगरा सुन देख मन मोर कौव्वाथे

फेर संसो हर चारों कोती ले सचरत हे
मनखे के पय हर रुख राई मे बगरत हे
कइसे खेत खार बारी बखरी ल उजारत हे
ढीलाय गोल्लर मन खुरखूंद इन ला चरत हे

. _ डॉ अनिल भतपहरी, 9617777514

रचना 19- 20 नव 24 रात्रि 12 बजे से 1 बजे के मध्य अमली डीह रायपुर

No comments:

Post a Comment