#anilbhatpahari
।।बांध के सुंता ।।
इंहा मनखे मन के
कब मान रहिस
जुन्ना समे म तको
असनेच हाल रहिस
सिधवा मन बोकराच
कस हलाल रहिस
अउ चतुरा मन के
जम्मा माल रहिस
जब तक तुमन
एकमई हो जुरियाहूं नही
अउ अपन चीज- बस ल
बनेच पोटारहूं नही
तब तक तुंहर गांजे खरही
रोजेच उजरतेच रही
तिड़ी-बीड़ी होय मनखे मन
दाना अना बर लुलवातेच रही
जात-पात म बाट के
उन मन राजेच करही
कतको जुग बीत जय
तभो ले अंधियारेच रही
पढव लिखव बनेच अउ
मिल के सजोर होवव
हक -अधिकार बर
सब बंहजोर होवव
अपन बोली भाखा अउ
अस्मिता ल जतनव
पुरखा के असीस मिलही
थोकिन तो बात परखव
तुंहर जमीन तुंहर जंगल
तुंहरेच हे नंदी -पहाड़
बसुंदरा मन चगल लिन
तुंहरेच खेती अउ खार
कहां के सतजुग कहां के त्रेता
द्वापर के दंश सुन लागे फदित्ता
कलजुग के गोठ सुन सुन सिठ्ठा
सिरतोन ये कि ,ये सब हांसी ठठ्ठा ?
तभो ले तुम हव कइसन
एसन म बिकट मगन
परलोक सुधारे बर करथव
जबर भजन कीर्तन
इहलोक बिगाडे के ये
कइसन अलकरहा जतन
भुखन ल देथव दुत्कार
अउ पथरा बर भोजन छप्पन
फंसे हव अभीच ले
पाप-पुन के चक्कर म
उन मन आके रपोट लिन
सब के बारी बख्खर ल
सब जागव सब डहन
अउ खरतर खरबान धरव
सडयंत्र के पर्दाफास बर
अब तो सावधान रहव
नवा साल म करव नवा परन
परे झन रहव अरन -बरन
चूर मंद-मांस म मेला-मड़ई
यहा तरा देव-धामी के रीत मनई
बांध के सुंता थोरकिन तो
करमकांड ल कमतिया लव
अवघट परे विकास के रद्दा ल
अब तो बनेच चतवार लव ...
डा. अनिल भतपहरी / 9617777514
सतश्री ऊंजियार सदन अमलीडीह, रायपुर
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