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||धर्म और मत मज़हब पंथ ||
धर्म विशुद्ध भारतीय शब्द हैं यह पाली प्राकृत संस्कृत हिंदी में व्यवहृत होते हैं। अंग्रेज़ी या अन्य विदेशी भाषा के शब्द जैसे रिलीजन मज़हब आदि को धर्म का पर्याय नहीं समझना चाहिए। बल्कि रिलीजन मजहब को यहां के मत , पंथ,संप्रदाय के रुप में देखना चाहिए। यह सब नहीं होने और गहराई से विचार नहीं करने के कारण धर्म को ही मत मजहब रिलीजन पंथ आदि समझ लिए गए फलस्वरूप अनेक तरह के भ्रम जनमानस में फैल गए हैं।
अनुयाई और धार्मिक कौन हैं और दोनों का कर्तव्य क्या हैं दोनों की प्रवृत्ति क्या और कैसे हैं इन पर भी विचार विमर्श होने चाहिए। ताकि इस क्षेत्र में जो भ्रम और अनेक तरह प्रवाद प्रलाप फैले हुए हैं, उसका उचित निराकरण हो सके।
धर्म का वास्तविक अर्थ मर्म में सद्गुणों को धारण कर व्यवहार करना हैं।घृ धातु से उत्पन्न धर्म का अर्थ धारण करना हैं।
अब सवाल होता है कि क्या धारण करना और कहां धारण करना?
सामान्य सा उत्तर हैं _"सत्य प्रेम करुणा परोपकार आदि गुण को मर्म यानि चित्त में धारण करना धर्म हैं। उसी तरह असत्य घृणा क्रुरता अपकर आदि अवगुण को धारण कर व्यवहार करना अधर्म हैं।"
इस अर्थ में देखें तो सद्गुण धर्म और अवगुण अधर्म हैं । सदगुणी व्यक्ति ही धार्मिक हैं और अवगुणी ही अधार्मिक हैं।
हिन्दू मुस्लिम ईसाई बौद्ध जैन सिख सतनाम क़बीरपंथ आदि धर्म नहीं बल्कि यह सब मत मजहब रिलीजन धम्म पंथ हैं। जिसे हम जीवन पद्धति ,प्रणाली या अपने मत मज़हब पंथ के अनुरुप पूजा,आराधना इबादत आदि के तौर तरीका मात्र हैं।
इनके वाहक लोग अनुयाई हैं। अनुयाई सदगुणी या धार्मिक हो यह जरुरी नहीं। अनेक अनुयाई अपने मतों जीवन पद्धति के प्रति कट्टर, समर्पित प्रचारक और दूसरे के लिए क्रूर आलोचक दुष्प्रचारक होकर सद्गुणों से रहित हो जाते हैं। तब ऐसे अनुयाइयों को कैसे धार्मिक कहे?
धर्म बिल्कुल ही अलग चीज़ हैं मतों मजहबों पंथों रिलीजनो से उन्हें नहीं जोड़ना चाहिए पर यह कैसी विडंबना हैं कि ग्रंथों, किताबों शासन प्रशासन में मतों मजहबों रिलीजनो को ही धर्म कहे जा रहे हैं।
इस पर हमारे बुद्धिजीवियों विचारकों और प्रज्ञा संपन्न लोगों को पहल करना चाहिए ताकि उचित संशोधन हो और आम लोगों को धर्म का वास्तविक अर्थ समझाना चाहिए। धर्म कैसे इन मतों मजहबों से ऊपर की चीज़ हैं और यह सदैव वैयक्तिक प्रासंगिक और अनुकरणीय हैं। यह बातें भी लोगों को अवगत कराना चाहिए।
_ डॉ अनिल भतपहरी/ 9617777514
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