Saturday, October 26, 2024

नवान्न खाने की पर्व नवाखाई देवारी और जेवठन

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नवान्न खाने की पर्व नवाखाई , देवारी और जेवठन 

 कृषि संस्कृति के संवाहक मानव समाज में उनके बसाहट वातावरण और अनेक प्रकार के अन्न पकने के अवसर पर हर्षोल्लास पूर्वक पर्व होते हैं। विभिन्न समुदायों में नवाखाई पर्व अलग अलग समय और तौर तरीके से मनाए जाते हैं। उनमें छत्तीसगढ़ के प्रमुखत: नवान्न खाने का पर्व हैं_ 

 1भादों माह में टीकरा में ऊपजने वाले कोदों कुटकी रागी मंडिया यह लारियांचल में नुवाखाई/ दाल खई 
2   क्वांर माह दसहरा के दिन भाठा के हरहुना धान मोटा किस्म वाले छत्तीसगढ़ के मध्य मैदान में नावा खाई 
3 कार्तिक माह देवारी के खिचड़ी भात  मटासी खार के मध्यम धान सफरी बंगला महामाया स्वर्णा गुरमटियां आदि  मैदानी भाग 
4 कार्तिक एकादशी जेवठन कन्हार खार या बहरा नार वाले माई धान दुबराज, जवाफूल, लोहदी, सिरीकवल आदि।

   हमलोग महानदी तटवर्ती सिरपुर के इर्दगिर्द के लोगों की नवाखाई जेवठन हैं। इस दिन नए दुबराज  या सुगंधित चांवल पीसान के चुकीयां बना देवधामी में दीप प्रज्ज्वलित करते हैं और तसमई या दुध फरा बनाकर परिजनों सहित सामूहिक रुप में जेवनास करते हैं। चीला, पपची, अईरसा लाई सब नए चांवल से बनाए जाते हैं। हमारे घर पशुधन को सुहाई इसी दिन बांधते हैं। इसलिए भट्टप्रहरी परिवार के लिए देवारी से अधिक महत्वपूर्ण पर्व जेवठन हैं। 
     मैं घर का बड़ा लड़का हूं तो मुझे खेतों के बाली के दाने चबाने और दीपावली के अन्य गोत्रज परिजनों के यहां से आए नए चांवल के व्यंजन खाने सख्त मना हैं।
   हमारे लिए नवाखाई जेवठन हैं और इस दिन नवान्न ग्रहण करने  बेसब्री से प्रतीक्षा करते हैं। 

    बहरहाल बाल्यकाल से परिजनों के साथ सामूहिक जेवन से जेवठन तिहार हैं, समझते हैं पर आजकल देवउठन कह देवताओं के नींद से सोकर उठने की बातें भी समझने लगें हैं। थोड़ी सी आश्चर्य और कौतूहल भी होते हैं देवता भी सोते जागते हैं।
    

नोट _ छत्तीसगढ़ गेहूं उत्पादक क्षेत्र नहीं हैं इसलिए उसके लिए कोई पर्व नहीं। जबकि गेंहू उत्पादक राज्यों में बैसाखी आदि फरवरी माह में मनाए जाते हैं। यह समय छत्तीसगढ़ में दलहन तिवरा राहर बटरा मसूर का रहता हैं।

    _ डॉ अनिल भतपहरी/ 9617777514

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