Tuesday, July 9, 2024

सृजन

#anilbhattcg 

सृजन 

किशोर वय से 
लिखने वाले 
बुजुर्गों सा
लिखते हैं 
धर्म अध्यात्म 
वैराग्य की 
बातें कर 
शीघ्रता से 
बुद्ध ,कबीर 
विवेकानंद 
होना चाहते हैं 

युवा रचनाकार 
संघर्षों से घिरे 
यथार्थ से परे 
आदर्श रचने की 
फ़िराक में 
प्रभाव के लिए 
प्रतिरोध के जगह 
यथास्थिति रचते हैं 

और प्रौढ़ लोग 
वसंत की बिदाई कर
लड़ते- झगड़ते 
भावहीन 
प्रेम गीत गाते हैं 

बुजुर्गों को भला 
क्या कहें 
वे तो बाल गीत 
गाते परलोक 
सवारते हैं 

पर क्या इन्हीं मनोवृति
और प्रवृत्ति से  
नव प्रवर्तन होगा
उत्कृष्ट सृजन होगा

जहां किशोर कल्पना में 
दिग्रभ्रमित हो 
युवा दिशाहीन हो 
प्रौढ़ में लिप्सा हो
और बुजुर्ग मे 
बचपना हों 

उस समाज और देश का 
भगवान मालिक 
चल रहा दौर 
है बड़ा सामयिक 

            डॉक्टर अनिल भतपहरी/ 9098165229

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