।।दो पाटन में।।
सवा अरब जनसंख्या वाली महादेश में
जिधर देखो उधर हर मौसम परिवेश में
होना ही है भाई भीड़ में भगदड़
चिल्ल पो, धक्का -मुक्की हुड़दंग
जानबूझ कर जाते हैं मजे -सजे लेने
मेला ,मड़ई ,हाट-बाजार देखने -दिखाने
देखो मानव जीवन हैं विकट दुःखों से भरा
मिल जाय सुख शांति बस इतना हैं चाह जरा
इसलिए तीर्थ व्रत और दान पुण्य स्नान
सत्संग -प्रवचन,पूजा-पाठ,जप तप ध्यान
बाबाओं की चमत्कार और उनके दर्शन
आस्था का सैलाब और सम्मोहित जन मन
दुःख दूर करने ,संताप हरने करते नही गुहार
जिन्हें वोट देकर बनाए हैं ये अपनी सरकार
उधर बेफिक्र होकर नेता अपनी झोली हैं भरते
इधर बेचारी जनता चमत्कार की आस में मरते
बाबाओं से हैं साठ -गाठ नेताओं से बड़ी गहरी
वोट बैंक के मालिक ओ और ये होते व्यापारी
मिल कर सरकार बनाते धर्म राजनीति की युति
ये दिखाते सपने विकास के और वे दिखाते मुक्ति
बेचारी भोली जनता पीस रहें देखो दो पाटन मे
धर्म-राजनीति का घालमेल हैं शासन-प्रशासन में
-डा अनिल भतपहरी /9617777524
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