#anilbhatpahari
।।डूब या भीग कर ।।
करो तुम कुछ भी
जो पल छिन बीतता है
वह आखिर में
इतिहास बनता ही हैं
जो बोवोगे लुओगे वही
बड़े-बुजुर्गों की उक्ति
सम या विषम परिस्थिति
मिले उपलब्धि या अधोगति
इसलिए भैया अब
जहां भी चलो सम्हल कर
कुछ भी करो पर ज़रा
ऊंच- नीच देख कर
कुछ बड़ो की व्यवस्था
छोटो को नागवर लगती है
अच्छा हुआ उनके हिस्से
बुरा हुआ तो इनके गलती है
शास्त्र सम्मत है यह
नीति कथन
क्षमा बड़न को चाहिए
और उत्पात चाहिए छोटन
इस तरह शास्त्र सम्मत
विकट उत्पातों पर क्षमादान
कर लो जी चाहे जो उत्पात
क्या मस्त है यह प्रावधान
इसलिए तो हो गया
सहज उत्पात मूत्राभिषेक
जहां शास्त्र वचन हो
वहां कहना क्या शेष
बड़े वही है और
वे उनके है छोटे
तुम हो पशुवत
भला क्यों तुम सोचें
पूर्व जन्म का फल भुगत
अगले जन्म हेतु पुण्य फल
क्यो निराश उदास रे बंदे !
होगा तेरा जीवन सफल
डूब या भीग कर श्रद्धावनत
आकंठ भाव -भक्ति में
लोग बेफ़िक्र जीये जा रहे हैं
प्रभु इच्छा मौज मस्ती में
- डां. अनिल भतपहरी / 9617777514
8-7-23 friday 10 Am
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