[4/28, 08:46] Anilbhatpahari: मया के रंग हे लाल रे संगी मया के रंग हे लाल
दू दिन के जिंनगी हवय , बीत जाही आज काल रे संगी मया के रंग हे लाल ...
अरझे हवस तय कोन जगा म
बिन पय के तय भोग सजा ल
मनखे जोनी के बड़ महातम
कहां गवाये तय एकर मजा ल
अभी तो तोर ये गति हे आगु कोन हवाल रे संगी मया के रंग हे लाल ...
गांव शहर जंगल पहाड़, नदिया नरवा तरिया
किंदरे बुले मन थिरआले, संगी आऊ जहूरिया
गाले मगन गीत भजन, अउ बजा ले गाल रे संगी मया के रंग हे लाल ...
[4/30, 20:28] Anilbhatpahari: ।। बोरे बासी आमा के अथान ।।
पखाल बोरे बासी ,आमा के अथान
भरपेट खाले संगी संझा अउ बिहान
खाले खाले बासी गुन के हवय खान ...
गोंदली लाली मिरचा लसुन के चटनी
चटकार खाले झन आवे मुंह ले पानी
चिटिक दही - मही ल संग म दे मिंझार ...
एला खाइस गुरुघासी अउ शहीद बीर नरायन
गुंडाधुर सुन्दरलाल खुबचंद पुरखा मन
खाके गुन गाके होइन हवे महान...
हीरा कस उज्जर सीथा घाद सुघराई
गुणकारी जबर नइ सचरय
रोग -राई
महिमा एकर कतक करव बखान ...
-डा. अनिल भतपहरी /
9617777514
सी- 11 ऊंजियार सदन अमलीडीह रायपुर छत्तीसगढ़
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