Tuesday, May 16, 2023

रंग महल में बैठा जोगी

सतनाम -संकीर्तन 

रंग महल मे बैठा जोगी 
मन बैरागी होय 
रिमझिम माया के बरसा बरसे  
धधकत आगी होय ...

उलट -पुलट ये दुनिया सारी 
भ्रमित भटकत नवल शिकारी 
सद्गुरु  साखी जोय ...

सरगपरी छन-छन नाचे 
मृग मरीचिका सोय 
साधक साधे सिद्धबानी 
सब मरजी का होय ...

मरना ऐसे देश में 
जहां न परिजन कोय 
पशु पंछी भोजन करे 
यह  तन  मांदी  होय ...

    - डा. अनिल भतपहरी / 9617777514

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