Monday, February 28, 2022

खर्सी म मांजे पैरी

।।खरसी ।।

खरसी मतलब सुखे हुए  छेना (उपला  )का टुकड़ा या सुखी हुई गोबर ।
छेना शब्द से मेरा एक गीत कल रविवार गुरतुर स्टुडियो में रिकॉर्ड किया गया।  संयुक्त संचालक वित्त साहनी साहब जो प्रसिद्ध गायक व संस्कृति प्रेमी हैं ,साथ में थे ।उन्होने कहां खरसी शब्द से कोई गीत नहीं बना है,इसे लेकर बनाओं। अमुमन अनायस व अप्रयास जेहन में कोई भाव कौंध जाय तो ही ही गीत / कविता लिखते रहे हैं ।सप्रयास बनता नहीं, पर खरसी शब्द मन में  फंसा रहा और जैसे -तैसे शाम तक यह गीत में ढ़ल ही गया ...! फागुन का मौसम है और सर्वत्र प्रेम का रंग बिखरा हुआ है, ऐसे में  सुखे छेने की टुकड़े, खरसी से प्रेम गीत कैसे बन पड़ा (लंबी भूमिका के लिए क्षमा सहित ) देखिए ...

खरसी मं मांजे पइरी गोरी तरिया के घठौंदा मं‌
खन -खन बाजय चुरी तोर  तरिया के घठौंदा मं ...

सुतिया चक मं जात  रहेंव जोते बर  नांगर 
पैठू तरिया ल नाहकत रहेंव परगे मोर नजर 
मोकाय बानी  रहिगेंव सपटे आमा के ओधा मं ...

हरदाही चुपरे देहे मं अउ  मुंड ल मिंजे माटी मं 
मोर नज़र तो अरझे राहय करधन अउ साटी मं 
फूंदरा संग ओरमे  राहय मोर मन तोर खोपा मं ...

               
          -डॉ॰ अनिल भतपहरी
          रचना - 1-3-2021  सोमवार शाम 6‌बजे

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