वर्तमान परिस्थितियों को देखकर हमें ऐसा लगने लगा है कि दुनियां बहुत तेजी से जाति,गोत्र , सम्प्रदाय , मत मजहब, पंथ, रिलिजन आदि से ऊपर उठकर मानव होने के कगार पर खड़ा हैं। जिसका सपना हमारे संत गुरु महात्मा लोग देखते आए हैं। वह यदा- कदा साकार होने लगे हैं। आगे चलकर अधिकांश ऐसा घर- परिवार अस्तित्व मान होन्गे जहाँ भिन्न- भिन्न जाति ,मत, सम्प्रदाय , मजहब रिलिजन, मान्यताओं वाले लोग आपसी समझ -व्यवहार से मिल-जुल जीवन निर्वहन करेन्गे ।
महानगरीय और बेहद प्रतिभाशाली परिवारों/ अभिजात्य वर्गों में यह सब दशकों से हो भी रहे हैं। अब वह तेजी से जनसमान्य और मध्यम वर्गों में होने लगेगा।
कोरोनाकाल के बाद तेजी से मानवतावादी दृष्टिकोण जनमानस में फैलेगा और प्रकृति के प्रति सचेत होन्गे तभी वह सुखी व समृद्धशाली हो सकेन्गे। सच कहे तो आने वाला समय सद्गुणों से युक्त होन्गे फलस्वरुप जातिय ,सामाजिक व धार्मिक अपराधिक प्रवृत्तियाँ कमतर होगी सत्यनिष्ठ करुणामय जीवन होन्गे और परस्पर प्रेम सद्भाव परोपकार जैसे मानवीय गुणों का धारण लोग अंतकरण में करेन्गे।
मिथकीय परिकल्पनाएं और रुढ़ -मूढ़ मान्यताएँ आधुनिक शिक्षा पद्धति और ग्लोबोलाइजेशन के चलते क्षरित होन्गे या शैन :शैन: वह छुटते चले जाएन्गे।
आप सबको बधाई कि शीध्र ही यह खुशनुमा माहौल पुरी दुनियां में आयेगी । उनके स्वागत के लिए आप सभी मानसिक रुप में तैयार रहे।
धन्यवाद।
सत श्री सतनाम
-डाॅ. अनिल भतपहरी / 9617777514
चित्र- एन एस एस नेशनल होम स्टे प्रोग्राम मैसुर विश्वविद्यालय , प्रांगण मैसुर कर्नाटक ।
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