तोर मोहनी सुरतियां
तोर मोहनी सुरतियां नंजर म खुलत हवय
मोर हिरदे म मया के फूल फूलत हवय ...
कपसा कस उज्जर तोर सुग्धर रुप
बोली मंदरस घोरे मतवना सरुप
माते माते मन भंवरा खोर किंजरत हवत ...
पहाती सुकुवा तय मोर पोसे मयना
देखे बिन तरसत रहिथे मोर नयना
बिलमे कहां तय आंखी फरकत हवय ...
भरे जवानी म नवतपा लागे हवय
क इसे पहावंव अब चिटको नई सहावय
मोर मया ह तोर बर पानी कस छलकत हवय ...
रचना काल - 5-6-2010
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