आपके वास्ते छकड़ी हमरी
।।किसान ।।
माटी म मिल के उपजाथे उन्हारी गहू धान
होथे भुंइया के भगवान,सिरतोन म किसान
सिरतोन म किसान के देख न जाय करलाई
ले दे के जिनगी चलथे बाढे नंगत ले मंहगाई
तना-नना जिनगी होगे का कहव गोठ दिल के
गुनत बइठे चौरा मं आगे बेरा माटी म मिले के
बिंदास कहे - डा. अनिल भतोहरी
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