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"गुरुगद्दी पूजा महोत्सव व गुरुदर्शन मेला की बधाई "
जय सतनाम
सतनाम धर्म-संस्कृति का यह महत्वपूर्ण आयोजन गुरुघासीदास के पुत्र राजा गुरुबालकदास के राज्याभिषेक १८२० के बाद भंडारपुरी में क्वांर शुक्ल एकादसी को गुरुदर्शन दशहरा शोभायात्रा में डूम्हा ,तेलासी, जुनवानी, देवगांव मोहगांव, गिधपुरी ,चिखली हरिभट्ठा बिजराडीह ,अमसेना कोड़ापार ,भैसमुड़ी, भैसा एंव खपरी जैसे अनेक ग्रामों में निवासरत हजारों -सतनामियों का आनन्दोत्सव महापर्व रहा हैं। जिनकी तैयारियाँ बड़े जोर- शोर उत्साह पूर्वक किए जाते रहे हैं। गांव- गांव में पंथी अखाड़ा एंव गुरु चरित पर आधारित लीला साधु -अखाड़ा का धूम रहते ।घरो- घर बैलगाड़ियों घोड़ा गाडियों में सगे- संबंधी आते हर घर के ब्यारे में चूल चढते और तालाब नदी नाले गजगजाते रहते !
परन्तु समय के फेर एंव भीषण के अकाल के चलते तेलासी बाड़ा के लूंकड़ जैन मरवाड़ी परिवार में हस्तगत हो जाने के फलस्वरूप यह विशिष्ट प्रथा बंद पड़ गये थे।
भला हो कि १९८४ के बाद जुनवानी चिखली ग्रामों के ग्रामीण जन पुनश्च नव कलेवर के साथ क्वार शुक्ल एकम से दसमीं तक गुरुगद्दी पूजा महोत्सव के नाम से उस महान सांस्कृतिक अनुष्ठान को पुनर्जीवित किये ! पुनश्च पंथी नृत्य आखाड़ा आदि का अभ्यास आरंभ होने लगे इस महोत्सव में तीजा -पोरा जैसे बेटी -दमाद लिहा कर लाने जैसी नव परंपरा भी विकसित होने लगे हैं। दसमी को गुरुगद्दी पूजा शोभायात्रा सतधरा भंडारा करने बाद दूसरे दिन भंडारपुरी गुरुदर्शन मेले के शोभायात्रा में सम्मलित होकर पुण्यलाभ अर्जित करते हैं।
बलौदाबाजार पलारी -आरंग परिक्षेत्र जो सतनामी बाहुल्य और सतनाम गुरुद्वारा भंडारपुरी तेलासीबाड़ा खपरी के प्रभाव वाले क्षेत्र हैं में हर्षोल्लास पूर्वक 37 वां वर्ष होने जा रहा हैं।
गुरुगद्दी पूजा महोत्सव और गुरु दर्शन मेला पर्व की हार्दिक बधाई एंव मंगलकामनाएं !
जय सतनाम
डा. अनिल भतपहरी
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