Monday, August 2, 2021

युगल गीत - मोर मन ल कलेचुप मोहत हस क इसे

मोर मन ल कलेचुप मोहत हस कइसे 
तोर रुप के जादू चलत हे कइसे 

कर के सोला सिंगार आए मोर आधु मं 
गिरा के बिजुरी ओधिआए मोर पाछु मं 
का हवय तोर मन म नइ जानव का जइसे ...जन्म

बड़ आए ज्ञानी   तय मोर का लागमानी अस 
मय धधकत आगी तय निच्चट  जुड़ पानी अस

तोर मोर भेंट के कछु आस 
नइये ...

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