मोर मन ल कलेचुप मोहत हस कइसे
तोर रुप के जादू चलत हे कइसे
कर के सोला सिंगार आए मोर आधु मं
गिरा के बिजुरी ओधिआए मोर पाछु मं
का हवय तोर मन म नइ जानव का जइसे ...जन्म
बड़ आए ज्ञानी तय मोर का लागमानी अस
मय धधकत आगी तय निच्चट जुड़ पानी अस
तोर मोर भेंट के कछु आस
नइये ...
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