"गुरुदर्शन मेला भंडारपुरी "
सुप्रसिद्ध गुरुदर्शन मेला भंडारपुरी क्वार शुक्ल एकादशी को भरता है जहां लाखों श्रद्धालू देश भर से एकत्र होते है।
गुरुघासीदास द्वारा प्रवर्तित सतनाम पंथ का व्यापक प्रचार - प्रसार छत्तीसगढ म.प्र.उडीसा मे हुआ।लाखों अनुयाई और उनसे संपर्क कर व्यवस्थित स्वरुप देने रामत का सूत्रपात हुआ।
इन्ही रामत की पड़ाव तेलासी - भंडारपुरी में सैकड़ो एकड़ की भूदान प्राप्त हुआ। फलस्वरुप वहां संत समागम एंव धार्मिक कार्य के निष्पादन हेतु स्मारक आदि बनाने की परिकल्पना साकार होने लगी।संयोगवश अंग्रेज सरकार सतनामियों की लाखों संख्या और उनकी सादगी पूर्ण रहन - सहन तथा कठोर परिश्रम से पड़ती जमीन को उपजाऊ बनाकर कृषि कार्य में रत लोगों के मार्गदर्शक गुरुघासीदास के प्रभाव को महत्व देने उनके युवा प्रतापी पुत्र बालकदास को जो सामाजिक संगठन के छेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे थे। उन्हे सोने की मूठ वाली तलवार हाथी और सैनिक रखने की अनुमति देते ८ गांव समर्पित कर राजा धोषित किए। राज्याभिषेक का स्वर्णिम पल ही कलान्तर में "गुरुदर्शन मेला "के रुप में परीणित हुआ।
छत्तीसगढ़ में सतनाम- धर्म संस्कृति की यह सर्वप्रथम महाआयोजन है। इनका शुभारंभ १८२० - २१ मे हुआ।
सतनाम धर्म -संस्कृति में राम- रावण युद्ध व रावण जलाने वाली दशहरा की प्रथा नही है।बावजूद गुरुदर्शन समागम को दशहरा कहे जाने लगे क्योकि यह दशहरा के ठीक दूसरे दिन मनाये जाने उत्सव थे फलस्वरुप जनमानस इसे "भंडार दसहरा मेला" कह कर संबोधित करने लगे।इस दिन राजा गुरुबालकदास भाई आगरदास पुत्र साहेब दास राजसी स्वरुप में हाथी घोड़े ऊंट आदि मे चढकर शोभायात्रा जुलुश निकालते और आखाड़ा प्रदर्शन , पंथी नृत्य करते अनुयाई हर्षोल्लास पूवर्क राज्याभिषेक का जश्न मनाते ।
कलान्तर में भंडारपुरी में किला (गढी) के साथ- साथ गुरुघासीदास के निर्देशन में सतनाम साधना व ध्यान सत्संग आदि के लिए भव्य चौखंडा मोती महल गुरुद्वारा का निर्माण १८३० में हुआ। उनके समछ सूरज- चांद नाम के विशाल जैतखाम स्थापित किए गये । तथा इसी क्वार शुक्ल एकादशी तिथि को ही आयताकार सत्यध्वज "पालो " चढा़ने और जयकारा लगाते असत्य पर सत्य की जीत का जश्न मनाने महोत्सव का सूत्रपात हुआ ।इस दिन लाखो अनुयाई को गुरु एंव गुरु पुत्र धर्मोपदेश देते हैं। अनेक तरह के सत्संग प्
Friday, August 9, 2019
गुरुदर्शन दंशहरा मेला भंडारपुरी
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