Sunday, July 7, 2019

देवी करमसेनी / करमा माता

देवी करमसेनी या कर्मा माता
    
कर्मा माता को नरवर नरेश की पुत्री और कृष्ण भक्त कहे जा रहे  है । जबकि करमसेनी के नाम से छत्तीसगढ मे यह श्रमिक जातियों की  आराध्य देवी है।उनकी अराधना सदियों से है और उनसे एक विशिष्ट संस्कृति विकसित हुई  है ।
  करमा माता  कृष्ण उपासिका थी और  पुरी यात्रा करती है और वहां पंडे पुजारी से अपमानित भी होती है ।पर उनकी अनन्य भक्ति से सकरात्मक प्रभाव पड़ते है  अत: समुदाय मे वे पूज्य हो जाती है। इसे  तैलिक समुदाय से संबंधित होने के दावा भी है ।  (ग्यात हो कि  राजिम माता  को  यह समुदाय  अधिष्टात्री मानते रहे हैै )
        फलस्वरुप विगत कुछ वर्षो छग मे उनकी बहुलता होने के कारण उनके नाम पर सार्वजनिक रुप से अवकाश धोषित हुई और अब इस तरह कर्मा माता चर्चा में है।
    सच तो  यह है कि कर्मा माता को छत्तीसगढ़ करमसेनी के नाम से अनादि काल से पूजते आ रहे है।करम देवता के नाम से यह पुरुष रुप में भी वंदित है।
    श्रमिक व शिल्पी  जातियां जिन्हे अस्पृश्य माने जाते रहे है के लिए भी करमसेनी अराध्य है। तेली कलार  गाडा घसिया देवार कोष्टा कुम्हार लुहार चमार आदि समुदाय के अराध्य  करमसेनी परिश्रम की देवी है।यही समुदाय मे   उनके सेवा मे पारंपरिक रुप से  करमा गीत गाए जाते है जो एक तरह से भक्ति मय जस गीत जैसा है।
    कहे जाते है कि झारखंड व छत्तीसगढ सीमावर्ती छेत्र मे स्थित सीया पहाड़ मे करमसेनी देवी का उपजन  जन्मन बाढ़न है ।
   बाद मे करमा मे श्रृगांर आदि सम्मलित होकर युवा और प्रेमी वर्ग मे लोकप्रिय हो गये।दादर परिछेत्र मे युवाओ के प्रेमल गान के साथ करमा की युति हो ग ई और करमा ददरिया छत्तीसगढ की सांस्कृतिक पहचान भी ।
     बहरहाल करमा जंयती की अवकाश होने पर उनके नाम पर अब इन सभी श्रमिक जातियों का अपना उत्सव प्रदेश में एक अलग सांस्कृतिक अनुष्ठान स्थापित होन्गे और समस्त श्रमिक समुदाय इस बहाने संगठित होकर अपने विकास के आयाम तलाशेन्गे  ऐसा उम्मीद है।
      ।।जय करमसेनी जय करमा ।।

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