डॉ अनिल कुमार भतपहरी सहायक संचालक उच्च शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ शासन को सचिव,छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पद पर संस्कृति विभाग में तीन वर्षों की प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ किया गया था।
इन तीन वर्ष के कार्यकाल में उन्होंने कोरोना काल में लगभग हाशिए पर चले आयोग को पुनर्स्थापित किया। हालांकि इस दौरान राजभाषा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की मनोनयन नहीं हुआ। परन्तु वे राज्य के साहित्यकारों कलाकारों प्राध्यापको ,के साथ और मंत्री जनप्रतिनिधि एवं विभाग के अधिकारी से समन्वय बनाकर जो भाषाई और साहित्यिक क्षेत्र में कार्य किया वह महत्वपूर्ण और रेखांकित करने योग्य हैं।
खासतौर पर आयोग का कार्य को प्रमुखता से तीन भागों में विभाजित कर एक्शन प्लान बनाया और उसे जिला समन्वयकों की उपस्थिति में चरणबद्ध तरीके से शेड्यूल के अनुसार संस्कृति मंत्री और संचालक के संज्ञान में कार्यालय स्थापना दिवस 14 अगस्त 2022 अनुमोदित करवाकर प्रकाशन प्रशिक्षण और आयोजन का त्रिस्तरीय कार्यक्रम का पूरा ढांचा तैयार किया गया।
1आयोजन:
फिर तत्क्षण सुदूर जशपुर से बीजापुर और रायगढ़ से डोंगरगढ़ तक राज्य के सुदूर सीमावर्ती क्षेत्र से लेकर मध्य भाग में खासकर जशपुर, रायगढ़, बीजापुर, अंबिकापुर बालोद, महासमुंद, जगदलपुर जिला संभाग स्तरीय साहित्यकार सम्मेलन कराया। गया जिसमें संबंधित जिला/संभाग के अधिकतर साहित्यकारों ने स्वस्फूर्त भाग लिया और उनमें नवीन उत्साह का संचार हुआ। विशिष्ट कार्य किए हुए वरिष्ठ साहित्यकारों को आयोजन में सम्मान करवाकर उन्हे विशिष्ट महत्ता प्रदान किए।
A त्रिदिवसीय राज्यस्तरीय सम्मेलन
जनजातीय भाषा एवं साहित्य के विविध आयाम शहीद स्मारक भवन रायपुर 2021
B त्रिदिवसीय लोक साहित्य समारोह साइंस कॉलेज रायपुर 20 22
C सातवें प्रांतीय सम्मेलन होटल इंटरनेशनल बेबीलोन रायपुर 2023
उक्त तीनो राजकीय सम्मेलन में 1500 साहित्यकारों की गरिमामय उपस्थिति रही हैं। यह तीनो कार्यक्रम अत्यंत सफल और लोकप्रिय रहा। इनके स्मारिका भी प्रकाशित किए गए है।
2प्रकाशन:
छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास और संवर्धन हेतु उन्होंने राज्य के लगभग 100 से अधिक साहित्यकारों की पुस्तक को संवाद से प्रकाशित करवाकर और उन्हें राज्य के जिला ग्रन्थालय और महाविद्यालय में निःशुल्क भेजकर एक कीर्तिमान स्थापित किया। इस तरह छत्तीसगढ़ी पुस्तक राज्य के प्रायः सभी जिला ग्रंथालयों में उपलब्ध हुआ। इसके साथ ही उन्होंने। राजभाषा आयोग के गतिविधि और राज्य के सभी बोली भाषा को प्रश्रय देने हेतु त्रैमासिक " सुरहुत्ती" नामक संग्रहणीय पत्रिका आरम्भ हुई जो आगे चलकर शोध कार्य के लिए महत्वपूर्ण होगी।
3प्रशिक्षण:
आयोग के उक्त दो महत्वपूर्ण कार्यों के अतिरिक्त छत्तीसगढ़ी को राजकाज में व्यवहृत करने हेतु जिला मुख्यालय के अधिकारी कर्मचारी एवं महानदी भवन मंत्रालय एवं संचालनालय इंद्रावती भवन में चरण बद्ध तरीके से प्रतिवर्ष प्रशिक्षित किया गया। जिसके अधिकारी कर्मचारी की उपस्थिती एवं उत्साह महत्वपूर्ण रहा। राजनांदगांव , बेमेतरा, बालोद, कोंडागांव, मानपुर मोहला। कांकेर जैसे जिला में अधिकारी कर्मचारी को प्रशिक्षित किया गया।
4 सम्मान:
राज्य स्तरीय मुख्यमंत्री सम्मान छत्तीसगढ़ी भाषा के साथ अन्य राजकीय भाषा बोली सदरी लरिया कुड़ुख हलबी भतरी गोंडी आदि विकास और साहित्य सृजन हेतु महत्वपूर्ण साहित्यकारों को मान मुख्यमंत्री के हाथों उनके निवास पर सम्मानित किए गए।
राजकीय रामायण समारोह में छत्तीसगढ़ी और राज्य के अन्य भाषा बोली में लिखे गए रामकथा के महाकवियों और साहित्यकारों का राजकीय सम्मान आयोग के सौजन्य से संस्कृति विभाग द्वारा किया गया।
5मानक शब्दकोश एवं व्याकरण निर्माण समिति का गठन
राज्य के विभिन्न लब्ध प्रतिष्ठित 12 सदस्यीय भाषा विंदो और साहित्यकारों की समिति बनाई गई और 13 13 अक्षरों को बताकर वृहत्तर शब्दकोश निर्माण कराए जा रहे है। प्रथम चरण पूर्ण हो चुका है और पांडुलिपि प्राप्त हो गई है जिसका टाइपिंग भी आरम्भ हो चुका है।
जब मानक शब्दकोश और वृहत्तर व्याकरण बन जाएगा तब नियमानुसार आठवीं अनुसूची में छत्तीसगढ़ी को शामिल करने की दावा भाषा निदेशालय में प्रस्तुत किया जा सकेगा। इन सबके लिए पहली बार गंभीरतापूर्वक कार्य किया गया। और उसके अपेक्षित परिणाम आने लगा भी था।छत्तीसगढ़ी पहले से अधिक शहरी और शैक्षिक संस्थानों और कार्यालयों में व्यवहृत होने लगें हैं।
इस तरह तीन वर्षों के कार्यकाल उपलब्धि से भरा रहा।