#anilbhattcg
बात खतम और हजम
पुराने दौर की क्या कथा
रहा सदा ज़ुल्म शोषण व्यथा
भरा पड़ा दास्तां रनिवास अनगिनत कोठे हरम
प्रस्तर पोर्न से अटा देवालयों के गर्भगृह का मरम
होते रास, नियोग,साधनादि में पंचमकार
स्वच्छंद यौनाचार स्त्री ऊपर अत्याचार
देवदासियों विधवाओं की दारुण दशा
क्या और कैसे गिनाएं स्त्रियों की मनोव्यथा
कहीं अग्नि परीक्षा कही हरण
तो कहीं पर सरेआम चीर हरण
उस पर भी तीक्ष्ण उलाहना नारी नर्क द्वार
वाह रे!अधम नर कैसा तेरा तिरस्कार
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते आदर्श गढ़े गये
रमन्ते तत्र देवता के वाग्जाल में फ़साये गये
जख्म देकर गहरे यूँ मरहम लगाएं गए
देकर वस्त्रआभूषण गुलाम बनाये गये
पर इससे हुआ न कुछ भी भला
अबला के ऊपर जुल्म सबला का
पीटे गये ढ़ोल गँवार शूद्र पशु नारी
नीम पर चढा करेला ताड़ना के अधिकारी
यह दौर नया ही सही पर समान हक हैं यही
प्रेम न सही हवस सही मर मिट जायें न कहीं
भले जर ज़मीन के लिए हो युद्ध कहीं
पर जोरू के लिए युद्ध हो न कभी
स्त्री वस्तु, देवी नहीं स्त्री भोग्या नहीं
स्त्री केवल स्त्री कतई कुलटा वेश्या नहीं
जीर्ण -शीर्ण पुरातन ढहें पुराने ख्यालात सुधरे
जैसे पुरुष को ज़रूरत वैसे ही स्त्री की ज़रूरत
हो हक अधिकार दोनों का बराबर
कोई क्या कहें थोड़े में बहुत समझ ले
बस अब हमारी बात हुई यहीं पे खतम
ना पचे तो हाजमोला खा करले हज़म
डॉ अनिल भतपहरी / 9617777514