Wednesday, May 29, 2024

छकड़ी:वर्णाश्रम संस्कृति/ आबे तय मोर पारा

[5/22, 9:27 AM] Dr. Anil Bhatpahari: हो... आबे तय मोर पारा
 हो आबे तय मोर पारा 
 तरसत     में , हे  देखे बर जी.iवरा  bhn   n।   । ।
हो राजा तरसत हे देखे ब.9. M. .bm';!र जीवरा...

हाय कैसे आवव तोर पारा 
लगे मोर बर पाहरा 
हो रानी        कैसे आवव तुहर पारा...
W
हाय.. आबे तय सझा के बेरा 
आबे तय  सांझा के राजा 
हमर बियारा बीबीबीबी  mr 5  के पीपर ओधा...

हो लाहु तोर बर फूल गजरा 
 ओ रानी लाहू तोर बर फूल गजरा 
अउ आंखी मे आँजे बर कजरा...
[5/23, 7:31 PM] Dr. Anil Bhatpahari: छकड़ी 

वर्णाश्रम संस्कृति की भाषा संस्कृत हैं 
आरंभ से अपने को ही करते उपकृत हैं 
कितने ही एकलव्यों के अंगूठे काटे गए 
छल_ प्रपंच से ही यहां अर्जुन गढ़े गए
कोई सुन ले शब्द तो कान में सीसा डाले गए 
यदि बोल ले तो उनकी जिह्वा तक काटे गए 
देख लो सभी इनकी  प्रत्यक्ष  करस्तानी 
लकर धकर की घानी आधा तेल आधा पानी

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