#anilbhatpahari
।।सत्य - सनातन ।।
देख दुनिया
रीत -नीत
फैले हुए है
द्वेष - प्रीत
अगणित शत्रु
अगणित मीत
कोई नही
कबीरा एक
उठते हृदय में
भावातिरेक
राग अनेक
अनुराग अनेक
पर विराग से
आते विवेक
होते एकाग्र
चित्त-मन
जागृत अन्तर्मन
आहर राग है
सब राग के
अधिपति शिव है
बिन आहार
जीव निर्जीव है
राग ही शक्ति
बिन शक्ति
शिव शव है
राग-विराग के
द्वंद्व में पलते
भ्रम-भव है
वही तथागत
वही बुद्ध
वही संत गुरु
वही मेधा प्रबुद्ध
राग त्याग
वैराग्य लेकर
प्रणय कैसे v.
यह जीवन
बिन प्रणय
चलेगा कैसे
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जिस से हो ग
जन कल्याण
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यही तो है शाश्वत x hxx
सत्य सनातन h x
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- डा. अनिल भतपहरी / 9617777514
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