सामयिक विमर्श : देश का नामकरण
भारत और इंडिया नाम पर देश भर मे हो रहे परिचर्चा के संदर्भ में यह तथ्य रखना समीचीन व प्रासंगिक हैं।
पूर्व पश्चिम दक्षिण तीनो दिशाओं में समुद्र और उत्तर मे हिमालय पर्वत श्रृंखला के मध्य ,विशालकाय द्वीप नुमा भूखंड हैं। जहां सघन वन एंव बहुतायत रुप मे विशालकाय जीव "जम्बू" यानि "हाथी" मिलने के कारण "जम्बूद्वीप" नामकरण हुआ। इस भूखंड को भौगोलिक व सामाजिक सांस्कृतिक दृष्टि से "गोडवाना भूमि "( लैंड) भी कहे जाते हैं। दो एशिया दूसारा भाग "अंगारा भूमि "(लैंड ) मध्य " टैथिस सागर" जो वर्तमान हिमालय है। दोनो ओर से ये दोनो महाभूखंड सरक रहे है उनके दबाव से हिमालय की प्रति वर्ष बढ़ भी रहे हैं।
बाहरहाल इस जंबूद्वीप या गोडवाना भूमि में आर्यों के आव्रजन व विस्तार होने से विराट भूभाग "आर्यावर्त" के नाम से जाने जाने लगे। जहां आर्य नही पहुंचे वह "दक्षिणापथ "और "द्रविड़ देश" कहलाए। इस तरह आर्य- अनार्य और द्रविड़ देश के नाम से भी जाने जाते रहे हैं।
कलान्तर मे चक्रवर्ती सम्राट भरत ( भरत नाम अनेक प्रसिद्ध पात्र है ) के अभ्युदय के बाद इस महादेश का नाम "भारत "पड़ा । यह तीनो नाम अत्यंत प्राचीन और इसी देश व निवासियों द्वारा प्रयुक्त देशज नाम हैं। महाभारत नामक महाकाव्य यहां जन जीवन में बेहद लोकप्रिय हैं।
ग्रीक सभ्यता के युनानी- फारसी लोग" इंडस वेली" के पार इस महादेश को ई पू से ही "इंडिया" कहें। यह नाम भी दो हजार वर्ष पूर्व से प्रचलन में हैं। यवन हुण शक सिकंदर के अभियान व मेगास्थनीज और ह्वेंग सांग के लेखों व यात्रा वृतांतों में इंडिया शब्द का उल्लेख हैं। इस नाम को अंग्रेंजों ने नही दिया बल्कि भारत के पर्याय प्रयुक्त किया। कोलंबस भी इंडिया की तलाश करते अमेरिका पहुच गया वहां के मूल निवासियों को उन्होने रेड इंडियन कहा।
जबकि हिन्दुस्तान नाम मुगलों ने दिया । यह नाम अर्वाचीन हैं। ज्ञात हो कि अंग्रेज भारतीयों को इंडियन और हिन्दूस्तानी कहकर संबोधित करते थे।
हजारों वर्षो से जो नाम प्रचलन में हो और हमारी संस्कृति व प्रवृत्ति में रच- बस गया हो उन पर अनावश्यक हस्तक्षेप राष्ट्रहित में नही होना चाहिये।
।। जय भारत जय इंडिया ।।
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