सतनामियों ने न औरंगजेब के सामने सिर झुकाया न
अंग्रेजो के सामने....ये है सतनामी का पहचान...जय सतनाम
जब इंग्लैंड की महारानी ने साधो के लिये तोडा था अपना प्रोटोकॉल
साध न्यूज़ : साध सुमेरचंद और साध सिंदूरचंद विलायती को लंदन में रानी विक्टोरिया के जन्मदिन की पार्टी में निमंत्रण मिला। वे दोनों रानी विक्टोरिया के जन्मदिन की पार्टी में इसलिये जाने को तैयार नहीं हुए थे कि उस पार्टी में सभी लोग सूट बूट में होंगे औऱ वहाँ साधों का बाना पहनने की इजाजत नहीं होगी, सभी मेहमान रानी को झुक कर सलाम करेंगे औऱ शराब के साथ ही नोनवेज भी खाया जायेगा। जबकि उस समय काल में रानी विक्टोरिया की इस पार्टी मे जिन लोगों को निमंत्रण मिला था वे सब अपने आपको दुनिया का सबसे सौभाग्यशाली मानव मान कर दुनिया के कोने कोने से उस पार्टी में पहुंच रहे थे। इतना होने पर भी रानी विक्टोरिया को जब पता चला कि मेरे देश में ही अपने सिद्धांतों के मजबूत कोई साध भी हैं तो उन साधों को अपने महल में बुलाने के लिये रानी विक्टोरिया ने अपना प्रोटोकॉल तोड़ते हुये अपने पोलिटिकल एजेन्ट को इस संदेश के साथ भेज कर साधो को बुलावा दिया था कि वे साध जैसे कहेंगे वैसे ही होगा,लेकिन हमारा उनसे ये निवेदन है कि वे हमारे इस निमंत्रण को न ठुकराएँ। इतनी बात कबूल होने पर ही साध उनके महल में गए थे। दोनों साध सामाजिक शान के साथ पगिया पहन कर बहा गए, जहाँ उन साधों ने न तो वहाँ झुक कर किसी को सलाम किया न उनका बाना पहना न उनके यहाँ का पानी तक पिया था। इतना होने पर भी रानी विक्टोरिया ने उन साधों के आगमन पर आगे बढ कर उनका हाथ चूमा था तो वहाँ पर मौजूद सभी देशी औऱ विदेशी मेहमान आश्चर्यचकित होकर उन साधों को देखते रह गये थे इटली, फ्रांस, जर्मनी, जापान, बर्मा तथा भारत सहित अन्य अनेक देशों के राजे महाराजाओं ने उनके साथ अपनी एक फोटो खिचवाने में अपने आपको सौभाग्यशाली माना था। इस दुर्लभ चित्र में सिन्दूर चंद साध लंदन में रानी विक्टोरिया के महल के अधिकारी के साथ खड़े है। सतनामी साध समाज की ओर से विदेश यात्रा करने वाले ये पहले साध थे। इसी वजह से इनका परिवार विलायती खानदान के नाम से मशहूर हुआ।
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