[4/1, 12:03] anilbhatpahari: पावन पिरित के लहरा कहानी संग्रह हेतु -
कहानी -१
" ठोम्हा भर पसिया अउ मुठा भर भात "
नाव भले सुधारन हे, फेर ओकर सब बिगड़े हवे। बुढ़तकाल म जब ओकर जांगर थ कगे अउ सख नई चले लगिस, त गोठ चले ल धरलिस ।बड़ तो अतलंग करे रहिस ...अपन नांव के अभिमान म । मार जवानी के जोश म भुकरत जोन ल पाय तोन ल, बेरा देखे न कुबेरा कहय -
" मोर नांव नइ सुने अस का ? सुधार देहु "
सुधारनसिंग ल न कखरो डर ये न भरोसा।अपन भरोसा तीन परोसा ... कहत बानी वाला अपन बर बिहई ल उही दिन डनिया के ,डेहरी निकाल दिस जोन दिन बिचारी अपन मुंह उबाइस !उहु बड़ दु:खियारिन हे नांव सुखिया हे त का भइस ।
तकत्कहा और खरखर अपन जोड़ी के संग बने सुख से जिनगी पहावत रहीस ,एक दिन बने राहेरदार रखिया बरी रांधे जेवन परोसिस । सुधारन बिन बोले खाय अउ हाथेच के इशारा म पोरसौनी लेवय .. ते पाय के उन ल दुसर मन न इ परोसे खवाय अउ एक एब रहिस, कंडील दीया भुता जय त सथरा छोड़ अचो दय।
अब अल्हन होनच बदे रहिस त, कोनो उपाय कर ले नई रुके, न थमे ,होइच के रथे। ओसनेहच होगे। दार म नुन जादा होगे रहय अउ बरी म डारे बर भुलागिस !कलेचुप गरवा बरोबर सुधारन खाय लगिस ... फेर ये का ठउके लैन गोल होगे।बपुरी सुखिया आरती दीया बारेच रहीस फेर निसाना म मढाय कि घुंका म बुझागिस ।खात घानी कुलुप , नुनछुर अउ सीठ्ठा दार- साग के सेती सुधारन अगिया बैताल होगे ! तरपंवरी के रीस माथ मं चढिगय रीस म बदाबद सुखिया ल सुधारबन सुधारे धरलिस .चंउर कस छरत बपके लगिस-" का समझत मय गाय- गरुवा अंव , बने जात के खवई न पीअई ।ये तोर माय- मइके नोहय, जिहां मइलोगन के हुकुम चलथे ।"
बस इहीच बोली के चिबोली कि - "बात बात तंय माय मइके ल झन उटक "
लिख के लाख होगे राई के पहार सिरजगे ।सच कहे त लुक प पैरावट लेसागे !
सुखिया लांघन सोपा परत बिलखत ..सुसकत .दुरिहा के फुफु लागे तरिया पार मं बसे रहिस के घर आके रात पहाइस। इकरे जोरे ले ए गांव मं बिहाय आए रहिन फेर कुछेक साल बाद ओकरों से अनबनता हो गय रहिन । ले दे बुढी फूफू ह अपन बेटा मन सो हाथ जोर रात पहाय बर डेहरी के फरिका उधारिस नही त सांय सांय खार के रतिहा में हुर्रा , गाहबर -साहबर के डर मं क इसे करतिस बौपरी हर। संगे संग रोवत सुसकत फूफू कहिन - "नारी परानी के जीयत ले कोनो थेभा नहीं रहय, मरबे तभे सुख पाबे !" आंखी -आंखी मं रतिहा बिताइस अउ बड़े फजर कोन्हो झन देखे चुप्प निकल गिस !
x. x. x
समे कइसे पहाथे ओकर गम नी रहे फेर सुख के समे ल झन पुछ .... बांबी मछरी कस सलंग देथे ।
मोटर म बिन टिकस के चघे सुधारन ल कनडेक्टर ह धकियावत उतारे लगिस .-"अरे डोकरा जब हाथ मं रकम नही त मोटर च ढे के सउक काबर मरथस ?
निकल इंहा ले ....उतर ... सीठी मारत डरेवल ल बस रोके कहिस ।
पैलगी करत हाथ जोड़त डोकरा बोमियाय लगिस - " ददा मोला बलउदा जान दंव! उहा मंय रुपया देवा देहु!"
का उहा तोर बेटा साहेब दरोगा हे का?
रोनहुत कहिस -" नही ददा ! बेटा -बहु के दुख के सेती आज मोर ये दसा हवे। ननपन ल कोरा छोडा के पोसे हंव ,बर -बिहाव करेव उही मन ल मय मुरहा दाई -ददा मानेव।आजेच अपन सुवारी के भभकौनी मं मोला चेचकार के मुहाटी ले फटिक दिन कहत हे-' बड़ अइबी हस जा जिहा चले जा । "
मोटर हर खारे ल नहकत हे बीच मं एक दु झन दयालु सरीख मनखे मन कहिस अगला स्टेशन मं उतार देबे जी बीच खार मं झन उतारव ।
डोकरा के आंसु न इ थिरकत हे -"दाई ददा दुनो के दुलार देत पोसे रहेव ,फेर अपन नवा बाई के रुप म मोकाय परबुधिया गोसाइन के गुलाम .टुरा ह मोर घर निकाला कर दिस अब का करव ? ददा हो बताव कहा जांव ...फेर ओकर गोठ ल कोनो सुनत हे कि नहीं कोजनी सब अपन मं भुलागय !.. ये दे भैंसा बस स्टेसन म कडेक्टर ह उन ल उतार दिस .!! उतरत घानी रोनहुत सुधारन कहे लगिस ।आवत हंव "साहेब" तोर सरन म "ठोम्हा भर पसिया अउ एक मुठा भात " के असरा हवे !पा जातेंव ,त मोर सहिक अधर्मी चोला तर जतीस ! गुरुगद्दी खपरीडीह धाम म सुने रहीस उहां सदाव्रत भंडारा चलथे अउ कत्कोन दु:खिया उंहा आके तरत हवे । दसकोसी मनखे सकलाथे अउ मुक्तिदाससाहेब के जस -गुन देख हिरहंछा होथे ।
दुःख म जिनगी पाहत एक कौरा खात भाई भौज ई के गारी गल्ला सुनत सहत सुखिया तको बुढत काल मं अपन माय मइके वाले मन संग बड़ दिन म गुरुद्वारा आय रहिस माथ नवाय ।
संझाकन अटाटुट मनसे गुरुद्वारा के आघु मं बने जोड़ा जैतखाम चौरा म सकलाय हे ।तन -मन के पीरा ल हर लय साहेब कहिके हाथ म सरधा के फूल अउ फल -नरियर घरे साहेब अउ गुरुगद्दी भजे जात हवे !
सुधारन लैन म खडे माइलोगिन म सुखिया ल ठाड़े देखिस अउ बोमफारे रोवन लगिस !
तरतर तरतर दुनो के आंसु बोहात हे
बीस सला टुटे -जरे- झुलसाय रिस्ता हरियाय ल धरलिस .।
सुधारनसिंग सच में आज सुधरगे ओकर रुवाप झरगे अउ चेथी डहन के आखी ल माथ डहन लहुट गे । तब ले उन दुनो परानी गुरुद्वारा म सेवादार बनके चुल म हंडिया- हड़िया भात राधंत ,पतरी सिलत लंगहा -भुखहा ,पियसहा ल पानी पियावत -खवात अपन जिनगी पहात हवे।..बने मंगल भजन अउ सतनाम संकीर्तन तको गाय बजाय ल सीख गे हवे।
सुधारन सिंग ह अब सुधारनदास बनके गुरु अउ जन सेवा म अपन जीवन ल समरपित कर दिस।
× × ×
(अव इया जवइया मन कना कभु -कभु सुधारन गोठिया परथे -
" ठोम्हा भर पसिया अउ मुठा भर भात " अपन सिरहा डोली ले पाय के साध बाचे हवय )
-डाॅ. अनिल भतपहरी ९६१७७७७५१४
जुनवानी ,अमलीडीह रायपुर
[4/1, 12:06] anilbhatpahari: कहानी - 2
जनश्रुति पर आधारित लोक कथा
"सिकुन "
गिरौदपुरी म तपसी संत के दरसन-परसन करे बर अड़ताफ ले मनसे जोत्था -जोत्था आय लगिस । बड़ सरधा भक्ति ले औरा- धौरा तेंदू तीर मं सकलाय मंगल -भजन करय ।खाल्हे चरणकुंड के जल में असनाद करय ।सुघ्घर जेवन बना के गुरुबानी सुन बड़ किरतार्थ होय अउ अपन ल भागमानी मानय।
जात्रा ल लहुटत घानी बांस के पोंगरी मं चरणामृत अउ अमृत कुंड ले अमरित जल ले जय । चरणकुंड के जल ल खेत खार छिंचय अउ अमरित जल ल पुजा पाठ मं बउरय ।
बांस के पोंगरी बनाय अउ बेचे सेती बिंझवार -कंडरा मन ल रोजी- रोजगार तको मिले घरलिस चरिहा टुकना सुपा -झंउहा त बनाबेच करय अउ तीर तखार हाट बजार म बेचत सौरी नारायण मेला मं महिना भर सीजन रहय । अब तो पोंगरी बनाय के नवा करोबार सुरु हो गय... लोगन तुमड़ी पानी के जगा सुभिता पोंगरी पानी धर ले घर से बाहिर निकले लगिन । गुरुघासीदास के सोर चारों- मुड़ा उड़े ल घरलिस ।लोगन मंदिर, देव -धामी अउ पंडा -पुजारी डहन ले बिदर के गुरु शरण मं आए घरलिस । गुरुबाबा के जस देख- सुन के पंडा -पुजारी मन किसकिसी मरे अउ ओकर डहन ले लोगन ल बिदारे सेती तरा- तरा के उदिम करे घर लिस ।उनमन सोनखनिहा राजा ले पत्तो बनाके कहिस -"तोर राज मं देव धामी के निंदक शुद्र साधु बने के ढोंग करत हे अउ तय चुप हस ।हमर धरम के ओहर नास करत हे मंदिर मुरती ल ओहर नदिया तरिया सरोवत हे।
अउ हमन हाथ मं धरे हाथ ब इठे हन ,अइसे क इसे चलही ! एक झन बुढवा पंडित बनेच फोरिया के कहे धर लिस -
"जप- तप करके कारी शक्ति साधे हवे ,अउ सत -सत करत हे!"
पंडा -पुजारी मन घासीदास ल जदुहा- टोनहा कहे लगिस कि ओला तय रोक नही त हिन्दू धरम म परलय आ जाही !गुरुबबा के दरस -परस बर जवइय्या मन ले छुतिक -छुता करे लगिस। गांव ले भगाये लगिस ,जात बहिर करे लगिस । बांस के पोगरी बनइय्या मन ल रोके सेती बांस के जंगल म दावा छोड़वा दे गिस जम्मा जंगल जरे -बरे लगिस ....!!
बांस अपन कुल के बिनास देख सुसकन लगिस । जोन गुरु बाबा के परतापे अपन भाग सेहरावत पावन होत रहिस लोगन के सरधा बनत रहिन आज जर- बर के धूर्रा लहुट गय ।
उही बांस के नवतोम्हा काड़ी ल टोर सिकुन बनाय सेती कंडरा ले जय अउ नाऊ घर बेचय ।नाउ ह परसा पान म सिकुन भेद के पतरी सिल के बेचय ।पतरी मं पंगत ,बर -बिहाव ,छट्टी-बरही मं दार - भात तस्मई मालपुवा परोसे जाय ।
जेखर मनोकमना सिद्ध होय जेखर बदना फलित होय उनमन अपन सगा सोदर म दूर्भत्ता भात खवाय अउ आनी -बानी के खाजी पतरी म परोसय ।
राजा घर जस माढ़ीस ओहर देबी उपासक रहिस आठे के रतिहा कारी बरई अउ छ: दत्ता पड़वा के बलि होइस। भोकरा-भात अउ मंद बांस के पोंगरी अउ सिकुन पतरी म परोसे गिस बड़ मगन राज परिवार सिरहा, बैगा -पुजारी संग नाचे -कुदे बाना बिदरा छेदिस- भेदिस अउ खाय बर टुट परगिस ....
ये काय अनहोनी होगे! पतरी के सिकुन राजा के टोटा म अरझगे .....ओख ओख करत बोर्राय लगिस ... मुंह डहर ले गेजरा फेके घर लिस ।
सांस नइ ले सकिस अउ थोरिक समे मं आखी के पुतरी लहुट गय .. चारो डहर देखो- देखो होगे ... राजा के सांस अटक गे.... अउ देखते -देखत मुरछुत होके गिरगय ... जलसा सभा सब उजरगे ।
सांस थोर थिर चलत रहीस ..राजा के रानी बेटा नाती मन . गाड़ी बैला म जोर के गिरौद के उही औरा -धौरा के धुनि तीर ध्यान म मगन गुरुबाबा कना ले गिस ।हाथ जोड़ गुरुबबा के पैलगी करिस ... बचा दे बबा तोर नाव जुग जुग ले अम्मर रही।
गुरुबबा बड़ दयालू रहिस अपन आखी खोल ... कंमडल के जल निकाल सतनाम सुमर के पिलाइस ... गल म फंसे सिकुन के फांस उलिस अउ नीचे लीला गिस ... सांस नली खुलिस अउ राजा के चेत अउ सुध- बुध आय ल धरलिस ..राजा हर डंडा शरण साहेब के शरण म गिर पडिस छिमा मांगत ... आप के अपमान करेव ओकर फल ल भुगतेव बबा जी छिमा करव । उन्मन अपन घर आते बर नेवतिन बबा जी ओकर नेवता ल झोकलिन सबो बिंझवार कुलकत लहुटगिन ।
ऐति बांस के अंशज सिकुन अपन कुल धातक कना बदला चुको डरिस ।
दु बछर न इ बितिस सोना खान जंगल म बांस लहलहाय धरलिस ...कंडरा मन बनदेबी मं सरधा के फूल चढात बबा जी दरस करिन ... श्रद्धालू मन फेर बांस के पोंगरी म अमरित जल ले जे घर लिस ... गुरुबबा के जयकारा से सारा जंगल गुंजे लगिस ....
डा- अनिल भतपहरी /9617777514
सी -११ ऊंजियार - सदन सेंट जोसेफ टाऊन अमलीडीह रायपुर छ ग
[4/1, 12:13] anilbhatpahari: कहानी - 3
"तिरछट"
- डा अनिल भतपहरी
बैसाख के नहाकती अउ लगती जेठ जहर- महुरा खा लव फेर पथरा जुनवानी झन जाव।मार पलपला म उसने कांदा सरीख उसना जाहू उहा जायेब म।
काबर कि तरी पथरा उपर पथरा हवे पेपडा छवाय छानी के लकलक ताप म मनसे क इसे गुजारा करथे ओला उही मन जानय।अउ तुमन ल बकबकी छाय कि उहचे सभा जुडत हे जाबोन कहत हव ।कतिच मुह म मोला नेवता देत हव। का अडताफ म अउ कोनो ठ उर न इ मिलिस?
फेर सभा- सुसाटी जुड म न इ करके यहा तीपत भोभंरा म करे के काकर संउक चर्राय हवे?
गौटिया आलमदास रखमखात बरवट के पाटा म धय उठत धय ब इठत कहत हे।संदेसिया धजादास कहिस गौटिया तोर कहना वाजिब हे फेर जोरइय्या मन जानही कि काबर ये कुबेरा म समाज ल जोरत हवे।अब खातुहा गाडी ल छाड सभा सुसाटी म का कानहुन बधारेच जाबोन?
अरे नेवता आय हे जाबोच फेर ओमन उहेच काबर जोरत हे? हमर गाव म काबर नही? अरे पल्टू ,धजा के संग तुमन दु चार झन ल धर के जाव अउ कहव कि नंदिया ये पार पचरी के जुडहा अमइय्या म सभा परही २ दिन के पंगत- संगत के खरचा अकेल्ला मय उचांहू ।बमकत गौटिया कहे लगिस -आती खानी सब्बो बजरहा गांव म कोतवाल मन सो हाका परवा देहु । अउ मेछा टेवत कहे लगिस ये दानी मंहु चुनई म खडा होहु। देखत हंव महंत के महंती ल बड कान्हुन बधारत रहिथे।जनामना हमन के मुह म दुधफरा अरझे हे! जम्मा कोन्दा ब उला हवे ! अउ उहीच ल गोठबात आथै!
महंत लीम चउरा म बैठे सकलाय मनसे ल कहत हे देखव संत समाज सालपुट दुकाल परत हे कभु पनिया अकाल त कभु सुख्खा अकाल।बने बने कोनो साल नाहक गे त लुव ई म कटुआ कीरा सचर जाथे माहुल फाफा ल बचो डरे त बरहा बेंदरा मन सो ल कइसे बचाबोन ?
महानदी म धमतरी तीर बडका बांधा बनत हवे सुने म आत हवय का सिरतोन आय ममा ? फत्ते पुछिस। हा जी भांजा सहीच आय ।बडे बडे नहर निकलत हवे ओमा बडे बडे धनागर डोली मन ओकर चपेटा म आत हवय ।ओखरो बर सरकार ल दरखास देय ल परही थोरिक दर्रा खार कोती बहकवाय ल परही।ओदिन बुधवार के तहसीलदार पटवारी साहेब मन सो गुहार करे रहेन।ओमन कथे कलेक्टर सो मिले रायपुर जाय ल परही ।इही पाय के बैठका मढाय हन।
त गिधपुरी वाले मन झगरही करे ल धरलिस।ओ गाव के मनसे के मति मारे गे हवय।एक घर के बाभन के बहकावा म आके सब तिडीबिडी छरियागे। दु पार्टी होगे हे अउ उहा शांति बेवस्था बर पुलिस गाठ बैठारे हे।असनेच रही त चौकी खुल जाही।
असो बीजबौनी तिहार अक्ती के पहिलिच सबो के सुन्ता मढा ल परही तेन पाय के अव इय्या सम्मार म मउहारी भाठा म गस्ती रुख तरी ब इठका मढात हन। कइसे भंडारी बने रही कि नही? भंडारी हर अपन बाप के बात क कभु फांक देथय फेर महंत ल कभु न नुकुर नई कहे हवय।न महंत कभु न नुकुर कहे के गोठ गुठियावय।
ये दे सब झन ल का का करना हवे कतका झन सकलाही ? उकर भोजन भजन सुतन बसन के बेवस्था करे ल परही।
रतिहा जैतखाम तीर तीन तरिया निरगुन भजन बर पं रामचरण ल नरियर दे डरे हवय। तेलासी वाले मन के तको हरमुनिया वाले मंगल भजन होही।उकर तुरही हुडका अउ हरमुनिया के बनेच सोर उडत हे।
कलकत्ता ल बिसा के लाने हवय। लोगन टुट परथे कसना बाजथे अउ क इसे चिकारा ल सफा एक एक बोल हुबहू उछरथे।भजनहा बड झुलपहा हे उझल उझल के ऐसे हरमुनिया बजाथे बिचारा हुडका वाले बोकबाय हो जाथे ताल तुल ल मिलात बेमझा जाथे तेन पाय के उनमन एक झन लोहार तबलची राखे हवे। ते पाय के कतकोन झन ओरखथे ।भजनहा हर त भागवत करथे लील्ला करथे अउ सुने म आय हे रहस बेडा तको उचोथे।ते पाय के ओहर फुरसुद नही रहे कहु न कहु खंधेच रथे।आजकल चौका पोते ल तकहवय।
ख गय हे नवगढिया मन के संगत म।
उहीच पाय के नंदिया ये पार के मन उन देवताहा कहे ल घरलिस । अउ उन ल पुछे पाछे बर छोडे लगिस।महंत ये पाय के उहु ल नेवते हबे कि सब ल सकेलव कोनो ल झन छोडव।
उनमन कहिथे - "सब पखरी आय सरग निसेनी चढना हवे त सबके जरुरत परथे।अब कोनो नाचे हसाये लीला भागवत रहस करे मनसे ल जोरत तो हवे? बस उन सब ल सावचेत करना हे कि कोनो तुहर बाना झन मारय ।अपन खरही तिजोरी ल सम्हारना हवे।जोन नकसान होही ओकर भरपाई पाना हे तभेच अपन लोग ल इका मुह म पेज पसिया डार सकबोन!
हव मालिक एक लाधन दु फरिहार होथे। ओकर बाल बच्चा मन के मुह म बने जात के पेज पसिया न इ परत हे।बिचारा बोधना तनातना लुलवात हवे।जवानी म बड खरतरिहा रहीस अपन बाह म बल राखे पाच खाडी के जोतनदार रहीस ।उही मंत्री- महंतेच के समाजिक परवरतन के चक्कर आज ओकर लरिका लुलवात हे।अउ ओहर आजकल अलाली दलाली करके गुजारा करत हे।अच्छा बने बतायेच कुलकत आलमदास कहिस महंत के महंती ल यहीच झुकोही तय जा अउ बोधना ल परघा के लान ओला खंधोना जरुरी हे।
अपन ढेकी कुरिया म आजकल बोधना नागर बाधे के कारज करथे।नंदिया पार जंगल ले लकडी लानथे ओकर सो औने पौने म ले के छोल चाच के बेच बाच गुजारा करथे। उमर के बीते म नजर कमजोर हो गय फेर गोठ तो अइ से खर बान मारे कस जियानथे ।नागर जुडा ल छोलत तिरछटहा कर डरथे।तेन पाय के उन ल गाव के मनसे मन तिरछट नाव धरे रहय।फेर ओला आजो ले गम नई हे।
हव ग कौव्वा कौव्वा ल बलाथे मंजुर त न इ बलाय पुलधाट म नहावत धजादास कहत रहीस तिरछटहा मन सकलात हे।पचरी के गौटिया कम तिरछट न इये बावन राजा के कान काटे बैठे हवय।
ररुहा सपनाय दारभात कस मार कोहनी के आत ले दमोर के दुधफरा मालपुआ बरा सोहारी के संगेसग बफौरी कढी दारभात खात मगन बोधना हर सब ल मंदहा कस उछर बकर दिस। कइसे महंत के लोगन ल बिल्होरे जाय? बुदुक बताये धरलिस ।भले उन खान पान म सादा हे फेर गरीबी अउ शोषण के कुचक्र म पापी पेट अउ मानगुन पुछ- परख के सेती कहु -कहु बेनियत हो जाथे।बचपनेच ल सभा सुसाटी वाले आय ।भले जवानी के आत ले सामाजिक काम म सब चीज-बस ल फूक डरिस ।आज बुढत काल म लुलवात फिरत हे मान- गौन खोजत हवे।कगरेस म मिलत मान ल मुरख सवर्ण:मन के गोड के राख धुर्रा समझ के समता सैनिक दल के सीटी मास्टर बनगे। आज ओ पारटी के कोनो धरकन नइये ।ये जब -तब जय भीम जय भीम करत लुठुर-लुठुर किंदरत रहीथे।परन दिन ओखर धर बराडी बैला फंदाय धांधडा साजे सवारी गाडी आइस त लोगन म देखनी परगे कहां के आय काखर धर उतरे हे। बोधना ओ दिन धोवा के धोती पहिन कोसा के कुरता पहिन मार अदब म गाडी ब इठिस त लगथे जनामना मंत्री साहेब आय। शपथ ले बे उन भोपाल जात हवे ।दिल्ली भोपाल नागपुर ले कमती उन गुठियाय तक नही।ते पाय क ई झन उन ल लपरहा तको कहे धरलिस।
लपर लपर तो तही मारत हस महंत का हमन ल तय ओकवा भोकवा समझत हस ? हमन कलेक्टर साहेब करा रायपुर ल मिलके आ गे हन पुछ ले बोधना ल।हम गोठियान नही बुता करके देखाथन।आलमदास हर गोठ म बेलाटी भौरा कस आलम झोकत कहिस। सकलाय मनसे मन तारी पिटे धर लिस जय कारा होय लगिस हमर नेता क इसा हो आलमदास जइसा हो । पुरा अडताफ म आलमदास के जयकारा होय धरलिस असो के चुन ई म आलमदास ल वोट देके मंत्री विघायक बनाबोन ।महंत बिचारा हर कछु कहे न इ पाइस कहे धरिस ते बीच म ओकर गोठ ल तिरछटहा फाक दिस।
असो सम्मत रही बिदेस ल बिग्यानिक आय हवे अउर महानदी म बैराज बनाय जाही। सहकारी खेती करे जाही । जवाहिरलाल के हाथ ल मजबुत करव उनमन भिलाई म लोहा करखाना रसिया देस के सहयोग ले बनवात हवे।नवा तिरथ बनही।गंगरेल बाधा समुद्र असन बनही । अउ गाव -गाव म खेत खार म महानदी खलबलात अवतरही ।
कलेचुप सुनत अउ मुडी हाथ धरे गुनत बुधेलाल कहिस सुनब म आत हे ४०-५० गाव उजरत हवे।ओमन कहा बसही दुसर जगा क इसे गुजारा करही खेती खार धर दुवार कोला बारी गाय गरु सब बिला जाही !मुवाजा रुपया झोकही त का ओतकेच म गुजारा नाहकही भला? अउ कभु जादा बरसगे मनसे के बनाय जिनिस ताय कहु फुट फाट गे त परलय आ जाही।छोटे छोटे बांध हर १०-१२ गाव के मंझोत म नरवा मन ल बाध के बनना चाही।एखर से सबके गुजारा होतिस। तही मंत्री बन जा बड आय हस ये होतिस ऐसे करतेन ।बोधना हर फाकत कहिस।सरकार जनता के भल ई चाहत हे ।देश सुतंतर होय हे अब धीरे धीरे सबके भाग लहराही। का लहराही? अरे जोन राजा मालगुजार गौटिया रहीस उंकर त रवती उखडत हे अउ यहा तरा परदेशिया मन अंत्री मंत्री संत्री बनत हे।राज तो पढोइय्या मन के आय हवे । राज के बटवारा पाहु त स्कुल खुलाव लरिका मन ल पढाव लिखाव ! हमर अम्बेडकर बबा के यही त बडका मंतर आय।
पुनु हर रटपटा के खडे होके जयकारा लगाइस अम्बेडकरबबा के जै ।ओती गांधी बबा के जयकारा होय लगिस।
का के गोठ ल का कुती बेमझात हव जी ।हमला ये सोचना हे कि कइसे नहर म निकलत धनागर डोली मन बचाई।महंत चुप करात कहे लगिस।
फसल बीमा के कौनो बात निये बेफिकर किसानी करव ।अउ अपन सुध्धर दिन पहावव। सरकार हर जनता पोषही हमर नेतामन बिदेस ल चाउर दार लानही।रुवाप झाडत आलमदास कहे लागिस
अब बुढतकाल म महंत का गोठियाय? न वोला बोट से मतलब न नेतागिरी से।मतलब समाज के सुन्ता से हवे ।पद परतिष्ठा पाये स उक उन म कबहु न इ रहीस।भलुक कतकोन झन ल अपने परतापे पद देवाय रहीस। सक्कर बैमारी जनता के दुख पीरा बर संसो कर कर के ये बैमारी उन ल संचरगे रहय।
उन कहिस भाई जोन अपन समझ अउ सख पुरतीन रहीस करेन अब नवा जमाना आत हे सोच समझ के सुन्ता रहु ।हमन के का हे पाके डुमर तान कब टपक जाही कब साहेब के बलौव्वा आ जाही कहे नॊ जा सकय। सिछित बनव संगठित होय अउ अपन हक सभीमान बर संधर्ष करव।पद पाके फुलव झन न परलोखिया मन के बात म आव। काबर ये समाज बड धोखा खाय समाज आय बाबा साहेब कहेच हे -" बड मुस्किल म ये कारवा ल इहा तक लाय हन कोनो ये ल पाछु झन करहव । आधु न इ लेगे सकव त येला इही मेर छोड दव।
महंत गुनत दु चार झन संगवारी सहित अपन घर लहुट गय ।ओती बोधना हर दुमन आगर पंगत म अरसा परोसत हबे।उकरे घर तेल ई चढे रहिस। अब तो तिरहट मन के चलागन चलत हवय।
-डा अनिल भतपहरी
सी -११ ऊंजियार- सदन सेंट जोसेफ टाउन अमलीडीह रायपुर छग 9617777514
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