कहे-माने
ऐसा भी नही
कि पल मे उजड़ जाएगी
पल में बदल जाएगी
पल में संवर जाएगी
यह दुनियां
बनी है धीरे-धीरे
तो जाएगी धीरे-धीरे
यह कैसी अवधारणाएं
रहोगे नही तुम
पर नाहक तुमने
नश्वर कहे-माने
नश्वर तो तुम्ही हो
मुगालते मे रहे प्यारे
ईश्वर के सहारे
उसे भी अपना- सा कह
अमर कहे-माने
जबकि इसी दुनियां मे
कितने ईश्वर आए-गये
अमा मजे़दार है कहे-माने
-डा.अनिल भतपहरी
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