Saturday, September 14, 2019

कहे- माने

कहे-माने

ऐसा भी नही
कि पल मे उजड़ जाएगी
पल में बदल जाएगी
पल में संवर जाएगी
यह दुनियां
बनी है धीरे-धीरे
तो जाएगी धीरे-धीरे 
यह कैसी अवधारणाएं 
रहोगे नही तुम 
पर नाहक तुमने
नश्वर कहे-माने
नश्वर तो तुम्ही हो
मुगालते मे रहे प्यारे
ईश्वर के सहारे
उसे भी अपना- सा कह
अमर कहे-माने
जबकि इसी दुनियां मे
कितने ईश्वर आए-गये
अमा मजे़दार है कहे-माने

‌‌      -डा.अनिल भतपहरी

No comments:

Post a Comment