कितने वैकल्पिक नाम और उनके प्रभाव कैसा ?
जिनके ऊपर निरंतर जुल्म हो वह समाज मिलकर प्रतिकार न कर सके उसे कोई भी नाम दे दो कोई फर्क नही पड़ता। जो उत्पडित है उन्हे कितने ही वैकल्पिक नाम दे यदि उत्पीड़न जारी है तो उन नामों का कोई प्रयोजन नही।
बहरहाल महाराष्ट्र में नव बुद्धा या नवबौद्ध बौद्ध धम्म में दीक्षित महारों को कहे जाते है जो कि वहां की प्रमुख अनुसूचित जन जाति है ।इसी कौम में डा. अम्बेडकर का जन्म हुआ और वे हिन्दू धर्म का परित्याग कर लाखो स्वजातियों और अपने अनुयाई के साथ बौद्ध धर्म ग्रहण किए वही नव बौद्ध कहलाते है।अनुसूचित जाति वर्ग के अन्य जाति जो बौद्ध धर्म नही अपनाए वे नही।
अब यह देखना है कि अनुसूचित वर्ग में गैर महार जाति जो बौद्ध धम्म नही अपनाए है क्या वह नव बुद्धा शब्द को आत्मसात करेगा कि अनुजाति वर्ग में नवबुद्धा एक न ई जाति के रुप में अस्तित्वमान होन्गे ?
प्रकाशित समाचार के अनुसार अन्य राज्य के अनुसूचित जातियां जो बौद्ध धर्म नही अपनाए बल्कि हिन्दुओं के इतर पृथक पंथ मत आदि में आबद्ध है जैसे छग मे सतनामी , सूर्यवंशी , मेहर उ . प्र . चमार ,पासी रविदसिया , पंजाब मे रमगढिया , म. प्र .जाटव ,कुशवाहा मालवीय , इत्यादि क्या ये सब जो बौद्ध धर्म नही अपनाए है और इन्हे दलित आदि कहते है क्या केन्द्र सरकार (समाचार के अनुसार ) के निर्देश पर नव बुद्धा शब्द को आत्मसात कर पाएन्गे ?
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