"आव्रजन"
इन लोगों का काम हैं साहब
चोरी और सीनाजोरी
चाहे वे संपदा चुराए या विचार
इधर वे लोग जो ऊगाते हैं
मुफलिसी में जीते और रहते
बेफिक्र निर्विकार ...
दुःख तब हैं जब शातिर लोग
उन्हे विचार विहिन कह
उड़ाते है उपहास
बनाकर रखते आए हैं
जाहिल कृपण दास
शस्त्र शास्त्र और आस्था से
निहत्थे निरक्षर लोग
विचार विहिन भेड़ सदृश्य
समानता की पगडंडी
चलते चलते की है ईजाद
तब मिटाकर उसे बना रहे
समरसता की राजपथ
ताकि इनपर चल सके
उपनिवेश की भारी वाहन
सत्ता की मद से होते रहे
भव्यतम आव्रजन
शोषण का शुभागमन ......
डा.अनिल भतपहरी
जुनवानी ,रायपुर
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