Monday, August 27, 2018

दृष्टान्त

"दृष्टान्त "

भूख व असुविधाओं से धीरे

वंचित व निर्धन समाज

कभी कुछ पाने की आस में 

स्वत: एकत्र होने लगते हैं

पर शातिर लोग डालकर

प्रलोभन की रोटी

उन्ही में से कुछ को

पद-प्रतिष्ठा देकर

रखते सलामत अपनी चोटी

दिखाकर हसीन सपना

करते पुरा अरमान अपना

ठीक उस कौव्वें की तरह

जो स्वानों की भीड़ में 

गिराकर अपनी चोंच से रोटी

तीतर -बीतर कर उन्हें

रखते सलामत चोटी

परस्पर लड़ते / झपटते

होकर लहुलुहान

पड़े हैं बेबस -विवश

लुटे -ठगे स्वान

अब तो सुन लो गुन लो

यह दृष्टान्त 

-डा.अनिल भतपहरी ९६१७७७७५१४
जुनवानी , अमलीडीह रायपुर

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