Wednesday, August 29, 2018

विडोस एरिया

"विडोस एरिया "

      विडोस एरिया  ये क्या बला  हवे? असना कोनो  नाम होथय ?  कति अंग या ठ उर ल कहे जाथे ? हमन तो पहिली धांव  सुनत हन रे बबा  ? सुकरितदास  कोतवाल ह घेरी बेरी नोटिस के कागज ल अपन सलुखा के खींसा म धरत त निकालत फरियात कहे लगिस ...  नवा पटवारी  कालेज पढे लिखे फटफटी म आय बोधन मंडल के बेटा धजादास जोन डी.डी . पटवारी के नाव ले अपन हल्का म जाने जाथे ।सियान कोटवार ल समझावत कहिस .... कोटवार बबा  कलेक्टर साहब हर नवा राजधानी के गांव के पारा मन म जिहां ४-५  बछर म मनखे अकाल मौत मरत गिन कोनो  किडनी लिवर कैसर बिमारी कोनो एक्सीडेन्ट तो कोनो जहरीला शराब पीए कोनो चरस अफीस और डरग अरक म सिरायवत गे हे उनके परिवार ल चिन्हाकित करे बर हांका परवात हे ।
कोटवार कहिथे का उन मन ल मुयावजा मिलही का पटवारी साहेब तीर म कोटवार संग खडे समेदास तिखारत पुछे लगिस ।
डी डी पटवारी कहिथे - अइसे हमला न इ लागत हे । फेर सुने म आत हे विधान सभा म प्रश्न पुछे गिस हबे कि राजधानी एरिया के गांव म धड़ाधड़  मौत -फौत  होने लगा है। आपसी बटवारे और पारिवारिक कलह फैलते जा रहे हैं। उसका कारण क्या? उसे रोकने सरकार प्रभावी कदम उठा रहे हैं या नहीं ?  नवतोम्हा विधायक के पुछे ल विधानसभा सन्न हो गे रहिस .... तेही पाय के कलेक्टर साहेब लमसम जानकारी बर मुनादी करात हे .... कि काकर काकर घर फौत होय हवे ओकर  जानकारी पंचायत भवन म आके लिखवाहु और कोटवार रजिस्टर म फौत के आगु कारण लिखवाहु। ऐसे हाका परवा देना । कल साढे १० बजे से ना म  एंट्री होना शुरु करेन्गे ।बने हर चौक में खडा होके हांका पार देना । कहिके  डी डी पटवारी हर  आगु गांव डहन मुनादी कराय चल दिन ......
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    गियानिक दास हर भुपेन किराना दुकान  तीर  लीम चौरा म  अपन नाती नतनिन ल नड्डा बिस्कुट खवावत ब इठे रहिस कि डी डी पटवारी संग अभरेट हो ग इस .... साहेब सतनाम बंदगी होइस त पछिस का हालचाल हे मंडल .... त अपन मितनहा मंडल बोधन के बेटा डी डी ल देख बेटा के सुरता आगे ....  बड़ दुःख के गोठ हे पटवारी साहेब  का ला गुठियाबे अउ काकर कना दु: ख ल परियाबे ।बुढ़त काल तीरथ बरत करत समे बिताबोन कहत कुलकत तसीली जाके खेत के रजिस्ट्री म दसकत दे रहेन । जम्मा रुपया ल सरकार हमर बैंक के खाता म डार दे रहिस अउ एक कारड दे रहीस जरुरत पडे म एकर से मशीन म खुसेर ४० हजार तक के एक दिन म रकम निकाल लेबे ।मय खाता अउ अटीएम कारड ल संदुक म बिज्जक मार धरे रहेंव फेर  का करबे तारा टोर के परबुधिया जीराखन टुरा ल कलेचुप निकाल के रोजेज मंद कुकरी जुआ चित्ती अउ अपन बाई बर  आनी बानी के लुगरा सोन चांदी के जेवर अउ हप्ता हप्ता कती माल टाकिज हवे सनीमा देखे जा जा के साल दू साल म फूंक डारिस .....अउ एक रात मंद पीए फटफटी म चढे आत रहिस ये नवा राजधानी के सडंक म चलत  रेती -मुरम भराय   हाइवा म चपका के सतलोक सिधार गय ... हमर त दुनिया उजड गय भले गांव उजाड के सरकार महल सिरजात हवे।   आज नाती नतुरा के पोसई म उमर खपत हे । डोकरी ल असोच लोकवा मार दिन अउ बहुरिया के त उही एक्सीडेन्ट म  एक गोड एक हाथ कटाय खटिया के पुरतीन हे । समधी बिचारा जतनहु कहिके लेगे रहिस फेर उकर बेटा  बहुरिहा कब तक राखतिस .... एक फटिक के चल दिस ।बपुरी खोली म फफकत परे रथे। मोर त बड़ मरना हवे ... का करव कहे नी जाय ...
        
    
        सुने म आत हे अब गांव धर ल उजारे जाही .... कोतवाल के काही हाका पारे ल सुन करेजा मुह आ जथे ... सथरा म ब इठे कौरा न ई उठे  । का होही सतपुरुस साहेब तही जान । कहत बोधन मंडल के तर तर आंसु बोहा जात हे ...

गियानिक अउ बोधन के दोस्तदारी के बड़ किस्सा रहीस ... दुनो अपन अपन गांव के बडंहर रहीस ।अउ उखर  एकलौता संतान रहीस । दुनो म बेटी बेटा होतिस त गुरावट जुड़ जतिस ।फेर बेटा मन के बिहाब एके गांव अउ एके लगन म संगे बरात ले के बहुरिया बिहाव के   संउख रहीस । फेर बड़ भगमानी होथय जेखर संउख अउ साध पुर जाथे । छत्तीसगढ़ी मनसे मन त अभागा होथे ।जेकर बेटी ल बोधन अपन ध्वजादास बर जोगें रहिस ओहर मंद के निशा म तरीया म बुड़ के मरगे .... तहां धजादास के बिहाव टलगे अउ पढे बर रायपुर के कालेज म चल दिस । एती मन मार के उही गांव के संत सरुप तोरन के धाद जात जतुवम बेटी मुंगेसिया के बिहाव उच्छाहित गियानिक मंडल अपन अकलौता बेटा अंजोरदास बर करे रहिस ।फेर अंजोरदास हर काकर भभकौनी म आके अंधियार दास लहुट मंद म उहा म चुर   हाइवा म चपका के असमय परलोक सिधार गय‌ ओकरेच दुनो संतान अउ  अपाहिज पत्नी के नाव सर्वे सूची म लिखवा दिस । चलव कछु आसरा सहारा मिल जाय त जिनगी के गाड़ी अटके हे आरा पुठा छरियाय हे उन सवर जाय अउ फेर चल परय ....

नवा कलेक्टर साहेब बड़ दयालु हवे । सुने म आथे उन मन  हमरे सरीख गरीबहा घर ले निकले हवे ..खोरबाहरा ह लीम चौरा म संझा बइठे  लोगन मन ल बताय लगिस कि  उकर बाप हर तको  तड़िहा अउ जंग मंदहा रहिस ।कोड़ोबोड़ो राज के रहोइय्या ये ।ताड़ नरियर के पाना छवाय कुंदरा म रहय अउ ओखर महतारी बपुरी नरियर बगैचा म बनी भुति करय ..एक दिन नडियल पेड़ म चघे ओकर गोस इय्या नशा के चक्कर म  मुड़ भरसा गिर गय . तीन लरिका के महतारी बपुरी के बिपत झन पुछ क इसे अपन नान लरिका ल पोसिस होही सजोर करिस .... अउ ओखर बड़े बेटा ल नवोदय स्कूल म भर्ती कराइस ....आज उही ह गरीब गुरबां  बर देवता बरोबर इंहा  आके सेवा बजात हवे। अउ अलकर म  होय विधवा महिला मन  ल  रोजी रोजगार देय के उदिम चलावत हे उकर बाल बच्चा मन पढाय बर अवासिय स्कूल खोले जाही ‌।  सरकार सो नवा नवा प्रस्ताव बनवात हे उकर पुनरवास बर जी जान लगे हवे ... सुने म आत हे कि उनमन बिहाव न इ करे ये  अउ कोन्हो विधवाच संग करही ! 
      मनबोधी  उनमन अतेक करत हे त सबो नास  के जर  मंद मंउहा के नसा हे त सरकार नसा  बंदी  काबर नइ करय? समारु कथे सरकार कोन ये अरे तय हम वोट डर इय्या ह त सरकार आय पहली चलो हमी बंद करी ।गांव म मंद बेचाय बर बंद हो जाही । हमर बस चले त म उहा पेड ल कटवा के सगोन सराई ओमेर जगो दे। न रहे बांस न बजे बंसरी ।पुनु कथे ठउका कथस जी । f रमेसर फांकत कहिस का ठउका कहिस.. अरे आजकल गोली के दारु बनथे एक बोतल पानी म दु ठिन डार दे जहां धुरिस ते बनगे मंद । फेर अंगुर, च उर,जवार बाजारा सबो ल सरो के बनात हे।सरकार धान लेवत हे मंडी मन म सोझ्झे बरसात म सरोवत  रखे उही सरहा मन के मंद बनत हे उन्ना के दुन्ना कमात हे । पुरा सरकारी कारज अउ  करमचारी के तनखा मंद के प इसा से पुरोहवत हे ।सरकार कम चतुरा निये ए हाथ म ले ओ हाथ म दे ।
  मंद कभु बंद नी होय ... तीज तिहार देव धामी सबो जगा म ओ बियाप गे हवे ।जंगलिहा मन ल २-३ बोतल म उहा मंद  राखे के सरकारी परमिशन हे ।
     आजकल तो सरकारे बेचत हे दवा नइये राशन माटी तेल न इ हे फेर डराम के डराम मंद ह गांव- गांव म गंगा बोहात हे बोरिंग कस पानी ।
       हव जी आजकल बोरिंग अउ खरंजा का बनिन गांव मन नरक लहुटगिन अब घर घर शौचालय बनवा के ये नरक ल रौरव नरक बनवाय के उदिम करे जात हे।पंडित बबा हर सरकारी योजना अउ ओकर आधा अधुरा पन ल देख अगिया बैताल होत कहत रहिथे ।ओखर बात सिरतोन आय ।या तो जैसे हे चलन दे अउ जब नवा नवा करना हे त पुरा करो ये नहीं कि अन्ते तन्ते आधा अधुरा करके बनाय के चक्कर जोन हवे तहु ल बिगाड़ देय जाय।
   शौचालय के दुर्गंध ले गांव के गली चौरा म ब इठे न ई जा सकय ।मार नाक न इ ठहरे । बिना नाली निकास नलजल के येहर बास अउ बैमारी के घर बनत जात हे ।
       रिपोर्ट के सौपते विधान सभा म प्रस्ताव पास होइस कि नशा अउ  दुर्घटना के शिकार लोगन के विधवाओ और उनके बच्चों के संरछण बर सरकार "विधवापुनर्वास योजना "नवा र इपुर म लागु करे गे हवे ।जेमा इच्छानुसार बिहाव करके घर बसाय के प्रावधान तको हवे।
         बिहाव वाले बात म बड हो हल्ला होय लगिस ....फेर सासाबेगी अइसन थोरेच होही ? छाती वाला चाही एकर उबार करे बर ।फेर कोनो कोनो भागमानी अउ धर्मी चोला होइ जथे ।एसो सरकारी सामुहिक बिहाव म पाच जोडा विधवा विवाह होइस । त कत्कोन झन के आस के पंछी सरग म उड़े धरलिस .....स्व सहायता महिला समुह सहित नारी सशक्तिकरण के योजना बने लगिस.....सरकारी सहायता से अ इलाय नार उल्होय लगिस
    अइ से लगत हे कि विडोस एरिया के दिन अब बहुरही ....
        डा. अनिल भतपहरी
       सत श्री सेन्ट जोसेफ टाऊन अमलीडीह 

आव्रजन

"आव्रजन"

इन लोगों का काम हैं साहब
चोरी और सीनाजोरी
चाहे वे संपदा चुराए या विचार
इधर वे लोग जो ऊगाते हैं
मुफलिसी में जीते और रहते
बेफिक्र निर्विकार ...
दुःख तब हैं जब शातिर लोग
उन्हे विचार विहिन कह
उड़ाते है उपहास
बनाकर रखते आए हैं
जाहिल कृपण दास
शस्त्र शास्त्र और आस्था से
निहत्थे निरक्षर लोग
विचार विहिन भेड़ सदृश्य
समानता की पगडंडी 
चलते चलते की है ईजाद
तब मिटाकर उसे बना रहे
समरसता की राजपथ
ताकि इनपर चल सके
उपनिवेश की भारी वाहन
सत्ता की मद से होते रहे
भव्यतम आव्रजन
शोषण का शुभागमन ......

  डा.अनिल भतपहरी
         जुनवानी ,रायपुर

एक ठोम्हा पसिया

"एक ठोम्हा पसिया "

    नाव भले सुधारन हवे फेर ओकर सब बिगड़े हवे। बुढ़तकाल म जब ओकर  जांगर थकगे  अउ सख नई चले लगिस त गोठ चले ल धरलिस ।बड़ तो अतलंग करे रहिस ...अपन नांव के अभिमान म । मार जवानी के जोश म  भुकरत  जोन ल पाय तोन ल बेरा देखे न कुबेरा कहय - मोर नांव नइ सुने अस का ? सुधार देहु ... सुधारनसिंग ल कखरो डर ये न भरोसा।अपन भरोसा तीन परोसा ... कहत बानी वाला अपन बर बिहई उही दिन डनिया के  डेहरी निकाल दिस जोन दिन बिचारी अपन मुंह उबाइस !
        उहु बड़ दुखियारिन हे नांव सुखिया हे त का भइस । तकत्कहा और खरखर अपन जोड़ी के संग बने सुख से जिनगी पहावत रहीस ।एक दिन बने राहेरदार रखिया बरी रांधे  जेवन परोसिस । सुधारन बिन बोले खाय अउ हाथेच के इशारा म पोरसौनी लेवय ... ते पाय के उन ल दुसर मन न इ परोसे खवाय । अउ एक एब रहिस कंडील दीया भुता जय त सथरा छोड़ अचो दय।
    अब अल्हन होनच बदे रहिस त कोनो उपाय कर ले नई रुके न थमे ,होइच के रथे। ओसनेहच होगे। दार म नुन जादा होगे रहय अउ बरी म डारे बर भुलागिस ...... कलेचुप गरवा बरोबर सुधारन   खाय लगिस ... फेर ये का  ठउके  लैन गोल होगे।बपुरी सुखिया आरती दीया बारेच रहीस  फेर निसाना म मढाय कि घुका म बुझागिस .... खात धानी कुलुप , नुनछुर अउ सीठ्ठा दार- साग  के सेती अगिया बैताल होगे .... मार रिस म बदाबद सुखिया ल सुधारबन सुधारे धरलिस ..... का समझत मय गाय गरुवा अंव ।बने जात के खवई न पि अई ।ये तोर माय मइके नोहय जिहां मइलोगन के हुकुम चलथे ।बस इहीच बोली के चिबोली कि बात बात तंय माय मइके ल झन उटक ... ! लिख के लाख होगे राई के पहार।सच कहे त लुक प पैरावट लेसागे ....
     सुखिया लाधंन सोपा परत  बिलखत ..सुसकत ...दुरिहा के फुफु लागे तरिया पार म बसे रहिस के घर आके रात पहाइस अउ बडे फजर कोन्हो झन देखे चुप निकल गिस .....

     समे कइसे पहाथे ओकर गम नी रहे फेर सुख के समे ल झन पुछ .... बांबी मछरी कस सलंग देथे ।
         मोटर म बिन टिकस के  चघे सुधारन ल कनडेक्टर ह धकियावत उतारे लगिस ... अरे डोकरा जब हाथ म रकम नही त मोटर च ढे के स उक काबर मरथस निकल इहा ले ....पैलगी हाथ जोड़त डोकरा कथे ददा मोला बल उदा जान दंव!  ... उहा मंय रुपया देवा देहु! अभी त न इहे ।फेर बेटा बहु अउ नवा बाई के दुख के सेती आज मोर ये दसा हवे ....फेर ओकर गोठ ल कोनो न इ मानत हवे .... बीच रद्दा भैंसा बस स्टेसन म कडेक्टर ह उन ल उतार दिस .!!  उतरत घानी रोनहुत सुधारन कहे लगिस .... आवत हंव साहेब तोर शरण म ठोम्हा भर पसिया पा जातेंव ....त मोर सहीक अधर्मी चोला तर जतीस .... गुरुगद्दी खपरीडीह धाम म सुने रहीस उहां भंडारा चलथे अउ कत्कोन दुखिया उंहा आके तरस हवे । दसकोशी मनखे सकलाथे अउ मुक्तिदाससाहेब के जस गुन देख हिरहंछा होथे ।

     दुख म जिकगी पाहत सुखिया तको अपन माय मइके वाले मनसंग बड़ दिन म गुरुद्वारा आय रहिस माथ नवाय ।
          संझाकन अटाटुट मनसे गुरुद्वारा के आधु जैतखाम चौरा म सकलाय हे तन मन के पीरा ल हर लय साहेब कहिके हाथ म सरधा के फूल अउ फल नरियर घरे साहेब अउ गुरुगद्दी भजे जात हवे ....
     सुधारन लैन म खडे माइलोगिन म सुखिया ल ठाड़े देखिस .... अउ बोमफारे रोवन लगिस ......
तरतर तरतर दुनो के आंसु बोहात हे ....
    बीससला टुटे -जरे- झुलसाय  रिस्ता हरियाय ल धरलिस ....
            सुधारनसिंग सच में आज सुधरगे ओकर रुवाप झरगे अउ ओखर चेथी डहन के आखी ल माथ डहन लहुट गे ।

सर्व व्यापी सतनाम

"सतनाम सर्वव्यापी "

सतनाम  आदि काल से व्यहृत है।इनके संदर्भ में  प्राचीन काल से लिखित में जानकारियाँ हैं। पालि में बुद्ध वचन सच्चनाम लिखे गये हैं। शिवपुराण में भी अमरकथा के अन्तर्गत सतनाम का ही संस्मरणहैं। वेद उपनिषद आदि में सतनाम की महिमा गाई गई हैं। अधिकतर ग्रंथ पुराण निगम सुत्रादि में सतनाम ही मूल सचेतक हैं। जिनते भी समाज अन्वेषक गुरु संत महात्मा उपदेक व सर्जक हुए सतनाम का ही सुमरन किए किसी ने सतनाम को साकार करते पात्रो को सत्य‌निष्ठा से जीवन यापन करते उनके चरित लिखे तो किसी ने उनके निराकार  स्वरुप का आराधना किए ।तो कोई उन्हे साकार निराकार से परे सद्गुण और भाव बताए .... इस तरह वह सर्वव्यापक होते गये ।वह ईश्वर गाड अल्लाह खुदा भगवान जैसे महिमामय और रहस्यमय तक हो गये।इस तरह साधक उनके अनगिनत स्वरुपों का वर्णन व दिग्दर्शन करने आरम्भ से लगे हुए है। बावजूद वह अपरिभाषित अअवलोकित व अवर्णनीय एंव अग्येय बना हुआ है। इसे चालाकियों विचित्र करमकांडो व क्रियाओ द्वारा आसानी से समझे नहीं जा सकते बल्कि सहज भाव से पवित्र मन व बुद्धि से स्वानुभूत किए जा सकते हैं। ऐसा पूर्व द्रष्टाओं ने कहे हैं। 
   बुद्ध कबीर गोरख नानक रैदास उदादास जगजीवन एंव गुरुघासी   सतनाम का प्रवर्तक हैं । इनकी संस्थापक अज्ञात हैं। इसलिए उसे रुपक में सतनाम सतपुरुष कहे जाते हैं।
      सतनाम संस्कृति गुरुमुख संस्कृति हैं। और यह गुरु शिष्य के द्वारा जनमानस में प्रचारित प्रसारित हैं।
    छत्तीसगढ़ में गुरुघासीदास से संदर्भित प्रथम लेखन उनके जाने या अन्तर्ध्यान १८५० के बाद १८६८-७० में महज १८-२० साल बाद किसी प्रत्यक्ष दर्शी के संस्मरण के आधार मि चिशोल्म ने गुरु घासी को इस छेत्र के असल आश्चर्य धोषित किया ।और उनके कार्य व प्रवृत्ति को यानि कि उनके  सतनाम जागरण  को जमीदोंज बताया।
        आजादी के आन्दोलन के दरम्यान उनके वंशज गुरु अगम दास जी ने १९२०-२२ में  गुरु घासीदास चरित का लेखन सतनामदास व पं सुखीदास से करवाया और इसी सुन्दरलाल शर्मा ने भी गुरुघासीदास  सतनामी पुराण  लिखा ।
    १९२५ में कलकत्ता से  सतनाम सागर प्रकाशित हुआ ।
    इस तरह यह प्रकाशन में पहला सतनामी साहित्य हुआ।हालांकि लेखन में पहले से हो चुका था।
    कलान्तर में मनोहरदास नृसिंह ने गुरुघासीदास चरित नामायण लिखा उसे उनके व्याख्याता  पुत्र खेमराज नृसिंह एम ए हिन्दी ने  जी ने व्यवस्थित व संपादित  करते महाकाव्यात्मक स्वरुप दिया। यह सतनामी समाज के प्रथम महाकाव्य होने का गौरव अर्जित किया।
  वर्तमान में  सतनाम साहित्य ८-१० महाकाव्य और २५०-३०० पुस्तक पंथी संग्रह एंव  पत्र पत्रिकाएं उपलब्ध हैं।
       गिरौदपुरी मेला का पाम्लेट  १९३५  प्राप्त है ।जिसमे दुर दुर से दर्शनार्थी आने के उल्लेख है। अत: इससे पूर्व ही मेला  संचालित हैं। और संत समाज गुरु बाबा से संदर्भित सभी स्थल ढून्ढे जा चुके थे भले उनका अपेक्षित विकास बहुत बाद में हुआ।
    इस तरह देखे तो सतनाम सर्वव्यापी हैं। इनके सुमरन से मन हृदय बुद्धि में बड़ा ही सकरात्मक प्रभाव पड़ता हैं। व्यक्ति को प्रकृति से जोड़ता हैं। शोषण विहिन और समानता से युक्त  समाज निर्माण में इनका योगदान अप्रतिम हैं। साथ ही अनेक जुल्मों के प्रकरान्तर संधर्ष करते प्रतिकार करने और  मर्मान्तक पीड़ा सहने की शक्ति देकर  व्यक्ति विश्वकल्याण की ओर प्रयाण कराता हैं।
   -डा अनिल भतपहरी
जुनवानी , "सतश्री "सेन्ट जोसेफ टाउन अमलीडीह रायपुर छग

Monday, August 27, 2018

दृष्टान्त

"दृष्टान्त "

भूख व असुविधाओं से धीरे

वंचित व निर्धन समाज

कभी कुछ पाने की आस में 

स्वत: एकत्र होने लगते हैं

पर शातिर लोग डालकर

प्रलोभन की रोटी

उन्ही में से कुछ को

पद-प्रतिष्ठा देकर

रखते सलामत अपनी चोटी

दिखाकर हसीन सपना

करते पुरा अरमान अपना

ठीक उस कौव्वें की तरह

जो स्वानों की भीड़ में 

गिराकर अपनी चोंच से रोटी

तीतर -बीतर कर उन्हें

रखते सलामत चोटी

परस्पर लड़ते / झपटते

होकर लहुलुहान

पड़े हैं बेबस -विवश

लुटे -ठगे स्वान

अब तो सुन लो गुन लो

यह दृष्टान्त 

-डा.अनिल भतपहरी ९६१७७७७५१४
जुनवानी , अमलीडीह रायपुर