#anilbhatpahari
।।सामान्य सी बात ।।
बहुत सहज
सामान्य कथ्य है
पर बहुत से
असामान्य लोगों को
असहज लगेंगें
कि आज देवता जगेंगें
तो सब कुछ
सुमंगल होगा
गंवाई गई
सत्ता आ जायेगी
या फिसलती हुई
सत्ता ठहर जाएगी
जल रहे है धूप-दीप
घंटे और अज़ान भी
गूंज रहे फ़िजा़ में
हो रहे हैं यज्ञ हवन भी
सुदूर संकीर्तन भी
इर्द गिर्द मंगल भजन भी
इधर कुछ तांत्रिक
कर रहे तंत्र साधना
और उस तरफ यांत्रिक
कर रहे यंत्र साधना
मांत्रिक लोग फूंक रहे मंत्र
शंकालू प्रश्नालू भी
कमर कस लिए है
कि ईवीएम होगा हैंक
जब चंद्रयान नियंत्रित होते यहां से
तब क्या दस कदम दूर
संत्रियों के साये में रखे मशीन
मंत्रियों के ईशारे पर
यंत्र साधकों द्वारा
छेड़ा नही जा सकेगा ?
जबकि कुछेक संत्रियों ने
कई मुजरिमों छोड़ दिया
कुछेक ले दे कर
इधर कुछेक सोनोग्राफर
जो कैमरा माईक पकड़
टी वी स्क्रीन में
भ्रूण परीक्षण में
लगे हुये हैं-
किसान होगा या व्यापारी
नट होगा या मदारी
माटी पुत्र कि पार्टी पुत्र
पर यह एहतियात
ज़रुरी है कि
इतनी साधारण बात को
कैसे बतड़ग किया जाय
जीत की उम्मीदे हो
तो हार के ठीकरे भी
कही पर भी फोड़ दिया जाय
सारे विकल्प खुले रखें
कि मौके पर
वक्त जरुरत पर
कहने के लिए
कुछ कहे तो थे
हालांकि
इस साधरण सा कथ्य
बहुत सा असाधारण लोगों को
असहज लगेंगें
कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है
तुम कुछ कह दोगे ?
जबकि कहना हमारा
जन्म सिद्ध अधिकार है
और केवल तुम्हरा सुनना
एकाधिकार ही नही सर्वाधिकार है
भले तुम जनता हो मतदाता हो
पर तुम्हारे पास माईक नही हैं
लेने के लिए कोई बाईट नहीं हैं
क्यो चिल्ल पो और हाहाकार
अरे हो गया मतदान खतम बाजार
- डा. अनिल भतपहरी ./ ९६१७७७७५१४
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