मातर की सुबह मतवारी मनरंजन
"कौरुनगर"
आज मातर है बचपन से मन को मताने वाले एक मिथक जो रहस्य रोमांच तिलस्म से भरा हुआ है जिसे "कौरुनगर" कहते है उन पर मनोरंजनार्थ पोष्ट करते है। बचपन में हमलोग दादी मां के कहानी सुनते इसकी जिक्र सुनकर वहां क्या क्या होते है कि बातें सुनकर बड़े हुए है। व्यक्ति में उम्र का एक पड़ाव आते है जब घर गृहस्थी बाल बच्चे आदि पर प्रभावी नियंत्रण घर की स्वामिनी हो जाते है और स्वामी जी बाहर उनके निर्देशित कर्म में रत । इस तरह देखा जाय तो हर किसी का अपना कौरु नगर हैं। वर्तमान मे सुखमय गृहस्थी जीवन के तह इनका भी प्रभावी असर है।व्यंग्य सा ही सही पर यह सच तो हैं!
बहरहाल जनमानस में कौरुनगर जहां स्त्रियों की राज जो पुरुषों को पशु- पछी ( बैल भेड बकरी तोता कबुतर आदि) बनाकर रखने की बाते सदियों से फैली हुई हैं।कामरुप कामाख्या देवी स्थल असम छेत्र जो बीहड हैं को कहे जाते हैं ।
हमे लगता हैं यह अलंकारिक व्यजंना शब्द शक्ति हैं। जो एक तरह पुरुष प्रधान समाज जो स्त्रियों के ऊपर जूल्म आदि करते हैं के प्रकरान्तर में रचे गये मिथक हैं।
देश में हर जगह अपना अपना कौरु नगर हैं। चाहे रेवा -परेवा वाली राजस्थान का ढोला मारु रा दुहा लोककाव्य हो या सुदूर बंगाल- केरल में वशीकरण करती मोहिनी या ६४ जोगिनि हो।
स्त्री पुरुष के अन्तरसंबंध दोनो के मध्य प्रेम धृणा के नवरस भाव की मुग्धकारी साहित्य व रोचक वृतान्त तोता मैना से लेकर आधुनिक सिनेमा तक अनेकानेक रहस्य रोमांच से भरा है। गीत कविताए गजल सजल भी आज तक मानव मन की गहराई को सही ढंग से नाप जोख नही सका है यह प्रक्रिया जारी है। यह कितना दूर्भाग्य और विडंबना हैं कि मनुष्य आजतक अपनो को छोड दूसरो को रत्ती भर समझ नही सका है। और स्त्री पुरुष आज तक एक दूसरे के लिए पहेली हैं। वैसे ही जातियाँ और समुदाय हैं।
बाहरहाल जन विश्वास हैं कि मंत्रो में शक्ति हैं। नाम साचा पिंड काचा कहे जाते हैं। यह मनोविज्ञान की विषय है। लोककथाओं में जो तिलस्म रहस्य रोंमाच की दुनिया हैं। हर भारतीय बच्चो के दिल दिमाग में दादी नानी दूध की धुट्टी के साथ भर दिए हैं। गांव शहर का कोई पेड कोई जगह या खंडहर भारतीय प्रो डा इंजी वैग्यानिक आदि को उनकी बचपन की उन्ही सीख ( लोक कथाओं और उससे विकसित फिल्म कथा कहानी ) से एकान्त व रात्रि काल में उन्हें डरावना व भयभीत करते हैं।
लोकमंत्र साहित्य या भाषा विग्यान के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह यदि लिपिबद्ध हो तो अनेक तरह की न ई जानकारियाँ सामने आएन्गी और जो सम्मोहन कथित अभिजात्यों ने संस्कृत में रचे है। उससे कमतर नही होन्गे।
छत्तीसगढ के कौरु नगर उडियान परिक्षेत्र है यह छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के सीमावर्ती भाग आते है।इस क्षेत्र में प्राचीन बौद्ध संस्कृति के जनजीवन में सहजयान और साधको सिद्धो मे ब्रजयान तंत्रयान का प्रचलन रहा है। सिरपुर में इनसे संदर्भित बुद्ध विहार है।जिनके द्वार पर भट्टप्रहरी (राज्य के श्रेष्ठ रक्षक )सदृश्य डा. अनिल भतपहरी खड़ा ६ वी सदीं और वर्तमान के साञस्कृतिक कडियों को जोड़ने कुछ पाने आते - जाते है।क्योकि ये हमारे पुरखे की गांव और जन्मभूमि है। जुनवानी और सिरपुर के मध्य महानदी का विशाल पाट है। जब गांव जाते है समय निकाल इन प्राचीन नगरी से अपनी जड़ तलाशने और परिजनों के अन्तरध्वनि सुनने आ जाते है।इनसे सुकून मिलता है। तुरतुरियां मे भिक्षुणियो और योगनियां रहती और मंत्र सिद्धी करती व योग करती प्रकृतिस्थ जीवन जीती।नाजार्जुन गुफा मे अनेक साधक मंत्र जागृत करते । विगत वर्ष यहां आकर दलाई लामा जी आकर ध्यान किए ।
अब भी सिरपुर और उनके आसपास का जनजीवन आवरण बद्ध है कोई अन्वेषक चाहिए जो यहां की लोक मे प्रचलित सञस्कृति से प्राचीन संस्कृति का अनावरण कर सकें।
जनजीवन में अब अनगिनत मंत्र सूक्त प्रचलन में है और अलेखन होने के फलस्वरु अब यह धीरे धीरे विलुप्ति के कगार पर है।
आज से ४० वर्ष पूर्व जब हमलोग ३-४ में पढ़ते थे तो अमावश और नाग पंचमी मे हमारे बुजुर्ग गांव में धान मींजने जब ब्यारा छोलते( खलिहान तैय्यार करते ) तो उसी जगह हम बच्चो को अमोल असवा महंत नंदू नारायण ,भरोस छोटु तनगू बबा शस्त्र चलाने प्रशिक्षित करते आखाड़ा सिखाते और रात्रि होते तो शोभित और दयालू सलेनदरा भगेला बबा सहज मंत्र सिखाते है। बड़ो को मारन -उच्चाटन आदि घोर गंभीर मंत्र सिखाकर नाम पान देते ।
उन मंत्रों मे एक शरीर बांधने मंत्र स्मृत हो रहा है -
आसन बांधेव सिहासन बांधेव
आई बांधेव डाई बांधेव
डायनी के चक्र बांधेव
सेत गुरु के चलत फिरत
मरी -मसान बांधेव
घाट अवधट समसान बांधेव
बारा ब इला के फेर बांधेव
मोर गुरु अउ महादेव पारबत्ती के कहे से
आसन अउ सिंहासन बंधा जा ...
साहेब गुरु सत्तनाम
मंत्र कितना प्रभावशाली हैं और उनकी क्या उपयोगिता हैं। यह बाद की बात है। असल बात हैं कि जब कोई साधन नही पहुच मार्ग नही साप बिच्छू से भरे बीहड जगहों पर इन्हीं साधको चाहे वह बैगा बैद सिद्ध नाथ योगी जपी तपी हो बेबस व दुखी जनमानस को धैर्य धारण कराया सिखाया उनके आत्मबल को जगाया जीना सिखाया और इतने दूर तक जीवन यात्रा के पथ प्रदर्शक रहे ।इन्हें यु खारिज कर दे या विस्मृत कर दे यह कैसे संभव है?
चित्र-१ सिरपुर बौद्ध विहार प्रवेश द्वार में अनिल भट्टप्रहरी
२-३ तुरतुरिया बुद्ध व बौद्ध भिक्षुणियां
४ जुनवानी का प्रसिद्ध लीम चौरा जहां रात्रि में लोग बैठकर अन्य चर्चा सहित मंत्र पाठ भी करते ।
डा. अनिल भतपहरी
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