Monday, September 30, 2019

गुरुवंदना

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Saturday, September 21, 2019

सत्यनाम और सतनाम

Girdhar Gopal Sahu जी सत्यनाम सांचा नाम और सतनाम  पर्यायवाची सा लग तो रहे है पर इनमें अंतर है।
सत और सत्य मे अंतर है।
सत  किसी भी वस्तु आदि सार तत्व है वह अदृश्य  अर्क  या महक सा है।
और सत्य वह सामाग्री है जो दिखता है।
सत्य बाह्य और दृश्य तत्व है ।
जबकि सत आंतरिक व अदृश्य
सत्य साक्ष्य सा एविडेंस है।
जबकि सत यह होते हुए  भी अनुभति जन्य है।
सत्य ईकाई है
और सत असीम है अनंत है और वह हमारे आसपास है।
सतलोक हमारे आसपास कीर्ति के प्रभामंडल से आवृत दुनिया है। वहां  रहना  जीवित मे सदाचारी व सतधारी रहना है और मत्युपरान्त प्रविष्ट होना ही सतलोकी होना है।  यहां रहना और होना में जीवन मत्यु  का भाव सन्निहित है।

Thursday, September 19, 2019

विरह

"विरह "

मदहोशी की खुमार में
बिताते है दिन
आशिक  काटते है 
रातें तारे गिन- गिन
बिन  प्रेयसी  के 
चैन नही पल-छिन
सुझे गर उपाय 
कोई तो  कुछ कहिन
लैहो सब बलाइयां
उनकी लागि लगिन
अब सच तन में
प्राण न रहन चाहे उनके बिन
-डा.अनिल भतपहरी

कितने वैकल्पिक नाम व उनके प्रभाव


     कितने वैकल्पिक नाम और उनके प्रभाव कैसा ?

      जिनके ऊपर निरंतर जुल्म हो वह समाज मिलकर प्रतिकार न कर सके उसे कोई भी नाम दे दो कोई फर्क नही पड़ता। जो उत्पडित है उन्हे कितने ही वैकल्पिक नाम दे यदि उत्पीड़न जारी है तो उन नामों का कोई प्रयोजन नही।
    बहरहाल महाराष्ट्र में नव बुद्धा या नवबौद्ध बौद्ध धम्म में दीक्षित महारों को कहे जाते है जो कि वहां की प्रमुख अनुसूचित जन जाति है ।इसी कौम में डा. अम्बेडकर का जन्म हुआ और वे हिन्दू धर्म का परित्याग कर लाखो स्वजातियों और अपने अनुयाई के साथ बौद्ध धर्म ग्रहण किए वही नव बौद्ध कहलाते है।अनुसूचित जाति वर्ग के अन्य जाति जो बौद्ध धर्म नही अपनाए वे नही।
   अब यह देखना है कि अनुसूचित वर्ग में गैर महार जाति जो बौद्ध धम्म नही अपनाए है क्या वह नव बुद्धा शब्द को आत्मसात करेगा कि अनुजाति वर्ग में नवबुद्धा एक न ई जाति के रुप में अस्तित्वमान होन्गे ?
         प्रकाशित समाचार के अनुसार अन्य राज्य के अनुसूचित जातियां जो बौद्ध धर्म नही अपनाए बल्कि हिन्दुओं के इतर पृथक पंथ मत आदि में आबद्ध है जैसे छग मे सतनामी , सूर्यवंशी , मेहर  उ . प्र . चमार ,पासी रविदसिया , पंजाब मे रमगढिया , म. प्र .जाटव ,कुशवाहा मालवीय , इत्यादि क्या ये सब जो बौद्ध धर्म  नही अपनाए है और इन्हे दलित आदि कहते है क्या केन्द्र सरकार (समाचार के अनुसार ) के निर्देश पर  नव बुद्धा शब्द को  आत्मसात कर पाएन्गे ?

सतनाम धर्म संस्कृति के पर्व व उत्सव

सतनाम धर्म संस्कृति में जयंती, पर्व ,मेले  एंव उत्सव

         प्रगतिशील छग सतनाम साहित्य प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित साहित्यकारों के समारोह मे सतनाम धर्म संस्कृति के  विभिन्न जयन्ती पर्व उत्सव समारोह के सन्दर्भ मे अधिकारिक रुप से जन श्रुतियो और दस्तावेजों मे दर्ज तिथियों के आधार पर आयोजन करने सम्बन्धी  महत्त्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई । मनुष्य जन्मजात उत्सव धर्मी प्राणी है और वे अपने धर्म मान्यताओं बडे बुजुर्गों के उपलब्धियों को स्मृत व उनसे प्रेरणा लेने अनेक तरह आयोजन करते सुखमय जीवन निर्वाह करते है।
     मुलमुला काण्ड  की तीव्र भर्तस्ना करते  दोषियो के ऊपर शीध्र कडी कार्यवाही करने शासन प्रशासन को अवगत कराने व मृतक को श्रद्धान्जलि दी गई ।
       तत्पश्चात सतनाम धर्म मे प्रचलित गुरुओं सन्तो के  जयन्ती /पुण्यतिथी उत्सव पर्व मेले सन्दर्भित तिथियों पर चर्चा करते निर्धारित निम्नलिखित तिथियों पर सभी जगहों पर यथासम्भव  गरिमामय  आयोजन करने पर उपस्थित सभी सदस्यगण सहमत हुये-
१-गुरुघासीदास जयंती १८दि १७५६।तदानुसार १६-१७ को जयन्ती पूर्व  शोभायात्रा ।१८-३१ जयन्ती पखवाडा।
२ गुरु अम्मरदास जयन्ती - असाढपुन्नी (गुरुपुर्णिमा)  "अइटकातिहार"
३ - गुरुअम्मरदास समाधि दर्शन मेला - छेरछेरा पुन्नी चटवाधाट व बाराडेरा धाम।
४ गुरु राजाबालकदास जयन्ती गुरुमहाअष्टमी (आठे ) भादो कृष्ण पछ अष्टमी
५-गुरुराजा बालक दास बलिदान दिवस २८ मार्च १८६०

६-गुरुमाता मिनीमाता जयन्ती होलिका दहन की रात्रि १९१३
७- गुरु माता मिनीमाता पुण्यतिथी ११ अगस्त १९७२
८ गुरु जयन्ती पर्व प्रवर्तक मन्त्री नकूलदेव ढीढी जयन्ती १२ अप्रैल १९१४
९- अन्तर्राष्ट्रीय पन्थी नर्तक देवदास जयन्ती ...अप्रैल .......
१०- तपोभूमि गिरौदपुरी सत्धाम मेला -फागुन शु ५-६-७
११- भन्डारपुरी/ तेलासीपुरी / खडुवा खपरी धाम मे - दशहरा - क्वार दसमी / एकादशी
१२- गुरुगद्दी पूजामहोत्सव क्वार एकम से दसमी। १० दिवसीय आयोजन।
१३- सतनामायण / गुरुग्रन्थ / सन्तमिलन / सत्सन्ग प्रवचन ३-५-७ दिवसीय समारोह।दिसम्बर से मई तक।
१४ - सतनाम रावटी स्थल दर्शन यात्रा  (गुरु बाबा द्वारा ९ जगहो पर धर्मप्रचार हेतु डाले गये पडाव या रावटी स्थलो के दर्शन यात्रा।)अक्टूबर से   मई तक ।
१५ बोडसरा / अम्मरद्वीप अमरटापु / पताढी / पचरी धाम मेला
१६- चौका / साधु अखाडा / सतनाम सन्कीर्तन / भजन व सतनाम व्रत कथा सुख दुख दोनो अवसर पर सार्वजनिक व व्यक्तिक
       इस तरह उपर्युक्त जंयती व्रत उत्सव मेले आदि का आयोजन  मानव जीवन में उत्साह उमंग लाते है और धार्मिक आध्यात्मिक  सामाजिक आवश्यकताओं की प्रतिपूर्ति करते सुख व समृद्धि लाते  है।
     डा. अनिल भतपहरी
            सचिव
सतनाम साहित्य प्रकोष्ठ
प्रगतिशील छ. ग. सतनामी समाज
                      ।‌‌। सतनाम ।।

Saturday, September 14, 2019

कहे- माने

कहे-माने

ऐसा भी नही
कि पल मे उजड़ जाएगी
पल में बदल जाएगी
पल में संवर जाएगी
यह दुनियां
बनी है धीरे-धीरे
तो जाएगी धीरे-धीरे 
यह कैसी अवधारणाएं 
रहोगे नही तुम 
पर नाहक तुमने
नश्वर कहे-माने
नश्वर तो तुम्ही हो
मुगालते मे रहे प्यारे
ईश्वर के सहारे
उसे भी अपना- सा कह
अमर कहे-माने
जबकि इसी दुनियां मे
कितने ईश्वर आए-गये
अमा मजे़दार है कहे-माने

‌‌      -डा.अनिल भतपहरी