Thursday, June 18, 2020

1* मन में

तेरी तरह कोई तो बसी हैं मन में 

पर क्युं कुछ खाली हैं  जीवन में

आग लगी और पानी भी बरसा 

कुछ असर नहीं जलन-भींगन में 

ये मस्तानी शाम और रुहानी रातें

थकान मिटती नहीं कोई सीज़न में

अब तो तड़फ की लत ही लगी हैं

बिन इनके मज़ा क्या है जीवन में  

     - डा अनिल भतपहरी

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