सुघ्घर
मनगंढत कथा कहानी
पोथी पत्रा के भभकौनी
पंडा पुजरी के लुढ़राई
आनी बानी खाजा खवई
आनंद बाजार मं मजा मराई
मंदिर के चारो मुड़ा किंदरई
देवदासी मन के नचई -गंवई
जनता के लुटई उकर करलाई
देख घासी के मुख निकले अमृतबानी
मंदिरवा मं का करे जाबो भाई
चलव अपन घट के देव ल मनाई ..
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