Monday, June 17, 2019

घासी मुख निकले बानी

सुघ्घर
मनगंढत कथा कहानी
पोथी पत्रा के भभकौनी
पंडा पुजरी के लुढ़राई
आनी बानी खाजा खवई
आनंद बाजार मं मजा मराई
मंदिर के चारो मुड़ा किंदरई
देवदासी मन के  नचई -गंवई 
जनता  के लुटई उकर करलाई  
देख घासी के मुख निकले अमृतबानी
मंदिरवा मं का करे जाबो भाई
चलव अपन  घट के देव ल मनाई ..

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