"हक्का -बक्का"
जतका के घाघर नही तकता के पुदगौनी
करमइता के भाग नथागे कइसे के कहौनी
ठलहा बैठांगुर के गोठ चुटुर -चुटुर
चाल चले सतरंजी करे सुटुर -पुटुर
देस ल लूटे बर लगे हे लटुर -लुटुर
सपटे ओधा म ताकत हे टुकुर- टुकुर
कोन बांधही बिलई के घेंच म घाटी
कपसे मुसवा कस चपकाये जस चाटी
चलत हे पारटी वाले साहेब मन के गरकटई
चुरत चिकन चीला चढ़े चुल्हा म तेलई
उत्ता-धुर्रा ताते-तात टोटा के आत ले खवई
देखे नई जा सके जनता के करलई
फारथन मुंह ल फेर फूटे न मुह ले बक्का
भारी परबंध हे चले न हक्का- बक्का
- डा. अनिल भतपहरी
9617777514
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