Wednesday, August 16, 2023

सतनामियों का स्वतंत्रता आन्दोलन में सहभागिता

।।सतनामियों का स्वतंत्रता आन्दोलन में सहभागिता ।।

     अंग्रेजों के देश छोड़ने और स्वतंत्रता मिलने पर जीवन के हर क्षेत्र में  आमूलचूल नव प्रवर्तन होन्गे ।इस उम्मीद के साथ सतनामियों में नव उत्साह का संचार हुआ ।फलस्वरुप  यह समुसाय अपना समय व संसाधन राष्ट्रहित के लिए  समर्पित कर दिये  । इसका साक्ष्य समकालीन समय के दास्तावेज़ो और बड़े बुजुर्गों के संस्मरणों से प्राप्त होते हैं। हालांकि इस पर अपेक्षित लेखन अन्यान्न कारणों से हो नही सका ।
   इस कड़ी में अगस्त क्रांति और भारत छोड़ो आन्दोलन पर अनुशीलन करते डां शबनूर सिद्धीकी का यह विवरण द्रष्ट्व्य हैं। 
     स्वतंत्रता संग्राम और समाज सुधार के क्षेत्र में सतनामी आश्रम  (स्थापना  1921 हालांकि इसमे 1928 लिखा हैं। पर 1921 से संस्थान सक्रिय रहा हैं)  का सर्वाधिक महत्व रहा है । इस संस्थान का  योगदान  सदैव अविस्मरणीय ‌ रहेगा । गुरु अगदास गोसाई का रायपुर स्थित  सतनाम बाड़ा स्वतंत्रता आन्दोलन का केन्द्र था।  जहां पर पं मोतीलाल नेहरु महात्मा गांधी के विश्वस्थ  बाबा रामचंद्र जी रहकर परिक्षेत्र में स्वतंत्रता आन्दोलन को संचालित कर रहे थें। उनके साथ गुरु गोसाई सहित 72  संत- महंत जिसमें रतिराम मालगुजार गौटिया अंजोरदास कोशले , राज महंत नयनदास महिलांग , प मिलऊ दास कोसरिया  लालसाय, बरनुदास ,रामचरण  बहोर‌न , सेखवा , रेंगहू , कन्हैलाल कोसरिया , डेरहाराम घृतलहरे , रेशमलाल जांगड़े जैसे अनगिनत पुरोधा थे तो मंत्री नकूलदेव ढ़ीढ़ी महंत नंदूनारायण भतपहरी, आदि डा अम्बेडकर के विचारधारा के झंडाबरदार होकर सामाजिक क्रांति के शंखनाद कर रहे थें।
          आजादी के अमृतकाल के इस समापन काल और अगस्त क्रांति माह में ।सतनामी आश्रम संस्थान और उनसे जुड़े अनगिनत हिरावल दस्ता के प्रणम्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों व सामाजिक क्रांति के प्रणेताओं को सादर नमन ।
     जय हिन्द जय सतनाम जय छत्तीसगढ़ 

चित्र - समकालीन समय पर सक्रिय सामाजिक संस्थानों की वर्षवार सूची ।  जिसमें प्रथम स्थान पर  एंव वर्ष में सबसे प्रथम सक्रिय होने का उल्लेख हैं। डा शबनुर सिद्धीकी  का अनुसंधान अनुशीलन ।
   सौजन्य  (प्रो घनाराम साहू जी के वाल से  प्राप्त  )

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