अथ गुड़ाखू गाथा
सड़ा -गला गुड़ और सड़ा गला तंबाकू के मेल से उत्पन्न गुड़ाखू कैंसर के जनक स्लो पाइजन हैं।
छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के प्रायः अधिकतर घरो में उपयोग की जाने वाली नशायुक्त प्रसाधन सामग्री हैं। इसे दांतों में घीसे और ओठ और गाल में दबाए जाते हैं।
मंदिर और सूरज जैसे धार्मिक महत्व के प्रतिमानों के ब्राण्ड या छाप से बिकने वाली यह नशा पदार्थ की करोड़ों में व्यवसाय हैं। बात- बात में धार्मिक लोगों की भावना आहत होते हैं कह आन्दोलन करने वाले कथित धार्मिक संगठन और नशा मुक्ति संगठन पता नहीं क्यो उत्पादक उद्योगपतियों के ऊपर धार्मिक भावना को आहत करने संबंधित एक भी मामला आज तक नहीं उठाए गये हैं।
हद्द तो तब है जब व्रत उपवास वाले दिन भी धार्मिक समुदाय इनका सेवन करते हैं क्योंकि यह खाद्य पदार्थ नहीं है। बिना इनके इस्तेमाल के आदमी काम के लायक नहीं होते ।एक दिन में 5-7-10 बार तक घिसने वाले यह सहज हर गली के किराना पान ठेले में सहज उपलब्ध 10 रुपये की चीजे कोरोना काल में 100 रुपये तक बिकती रही ।
छत्तीसगढ़ के जन- जीवन खासकर ग्राम्य अंचल में चोंगी ,बीड़ी ,तंबाकू, गुड़ाखू और मंद ,सल्फी, ताड़ी लांदा ,हडिया, कोसना ऐसे नशीले पदार्थ हैं जिसके प्रयोग से यहाँ महत्वाकांक्षा जैसे बिमारी से मुक्त हैं। रोटी कपड़ा मकान जैसे आधारभूत चीजे मिले न मिले पर यह चीज मिल जाये तो जीवन में जन्नत हैं। उन्हें नशीला सुख और स्वर्गिक आनंद में निमग्न करके भी उनके हुक्मरान बनने का शानदार वृतांत हैं। हालात तो यह हैं कि घर परिवार छूट जाय कोई गल नही जी -
छूट जाही डैकी लइका एक दिन संग साथ ले
फेर हाय रे गुड़ाखुर डबिया छूटे नहीं हाथ ले
एक पाव दारु और दो बोटी मांस बिछिया पैरी लुगरा में मतदान करने वाले औघट दानियों के लगता है प्रेरक ईष्ट महादेव ही हैं जिसे जानबूझकर शास्त्रीय प्रणाली के अन्तर्गत हलाहल के साथ -साथ भांग, गांजा, धतुरे में डुबाकर मदमस्त कर दिये गये हैं। उसी की अनुगामी व उनकी भक्ति में लीन अवघट बाट में पडे विकास से कोसो दूर भाग्य और भगवान के भरोसे रत्नगर्भा अमीर धरती में गरीब लोग हर सुबह दातुन के जगह गुडा़खू घीस कर दिनारंभ करते आ रहे हैं। और तरिया पार में बिराजमान महादेव में जल अर्पण कर परमानंद में लीन है। तभी तो रामायण, जगराता, सेवा छठ्ठी छेवारी बरही में बीडी माखुर चीलम गांजा बाटने की विलक्षण परंपरा विद्यमान हैं।
जागो भक्तों और सूरज मंदिर तोता छाप वालों से बचो नस्ल और पीढ़ी को गुड़ाखू तंबाकू मंद आदि से बताओ नहीं तो तुम्हारे दास्ता किसी दास्तान में भी नहीं मिलेगा । धार्मिक एंव सामाजिक आयोजनों में इन पदार्थों का वितरण बंद करों और छद्म प्रतिष्ठा पाने की भ्रम से बचों।
- डाॅ. अनिल भतपहरी / 9617777514
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