Friday, November 10, 2023

कन्फ्युज्ड

#anilbhatpahari 

।।कन्फ्युज्ड ।।

है भी ना 
भी है ना 
ना भी हैं
है भीना
हैभी ना  
हैंना भी 
भीना है 
भीहैंना 
नाभीहैं
हैंभीना 
हैंभीना के 
नाभी मे हैं भी 
हैना के नाभी में है 
नाभी में हैं न 
नाभी में हैं
इस तरह यहां
बातों -बातों में 
बतडंग करने 
की परिपाटी हैं
लालबुझ्झड़ 
और बतड़ग भैये 
ही बस खाटी है
बाकी दो कौड़ी की 
मिलावटी हैं
नेति-नेति की 
आरती है 
यहां लोगन  
भांति-भांति हैं
जो गूंगे- बहरे है 
जो अंधें- संधे हैं
उसे ही शांति हैं 
जो न सुने 
जो न बोले 
जो न देखें
जो कुछ न सोचें 
जो जिये और मरे 
पर कुछ भी न करे 
ओ निर्मोही 
ओ निर्दोषी 
ओ बैरागी 
ओ तपसी 
ओ मुनि
ओ जति 
उनके भी 
है क्या गति 
कैसी  मति 
है उनकी 
सुध न उन्हें 
तन- मन की 
क्या करे कल्याण 
जन मन की 
जो काम न आवे 
किसी की 
लगता है 
ओ सनकी 
या फिर शिकार 
किसी के हनक की 
क्या मतलब 
ऐसे जिनगी की  
पर उसे क्यों 
ढोते लोग 
बातों में उनके 
खाते गोते लोग ..

     - डा. अनिल भतपहरी/ 9617777514

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