#anilbhatpahari
दर्द पीते खुशनसीब लोग
हमारे पौराणिक साहित्य में भारतीय मनीषा यक्ष, किन्नर, गंधर्व ,देवादि के रुप में वर्णित हैं और उनकी महत्ता आज पर्यन्त बनी हुई हैं। इनमें किन्नर ऐसा समुदाय है जिनकी दुआएं किसी देवी- देवता की दुवाओं से कम नहीं है। चाहे अर्धनारीश्वर के रुप में रुद्रावतार हो या रामायण में वर्णित राम वनवास के समय अयोध्या के सरहद पर प्रतिरक्षा रत किन्नर समुदाय हो महाभारत में वृहन्नला के रुप में अर्जुन का अज्ञातवास और शिखंडी के माध्यम से महायोद्धा भीष्म पितामह का वध का छण रहा हो यह सब अविस्मरीण प्रेरक प्रसंग हैं।
इस के साथ -साथ ऐतिहासिक दस्तावेज़ में कुशल रणनीति कार ,योद्धा और राज- रजवाडे के अंत:पुर में सैनिक हो इनकी उपादेयता रही हैं। अलाउद्दीन खिलज़ी का सिपहसालार जिनके नेतृत्व में अपराजेय दक्कन फतह किया गया ।ऐसे अनेक रोचक दास्तान इतिहास में मिलते हैं।
गत दिवस संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन के सौजन्य से तृतीय लिंग ( ट्रान्स जेंडर ) समुदाय के ऊपर आयोजित कार्यक्रम में आमंत्रित होकर गौरवान्वित हुआ।
वहाँ पर उनकी दशा -दिशा को देखते, विमर्श करते उनकी परिस्थितियों को समझते हुए करुणा के सागर में गोते लगाते हुए द्रवित और आनंदित होने का विलक्षण अनुभव से गुजरना हुआ । वर्णातीत है इन समुदाय का सानिध्य पाना । मानव समाज उन्हें अपने अभिन्न होने की अहसास कराकर उनकी असीम दु:खों का निदान कर सकती हैं।
शासन - प्रशासन द्वारा भी उनकी शिक्षा स्वास्थ्य एंव रोजगार हेतु गंभीरतापूर्वक कार्य कर रहे। परन्तु इतना ही पर्याप्त नहीं बल्कि आम जनमानस में भी चेतना जागृत कराना होगा कि यह हमारे समाज का अभिन्न अंग हैं। और उनसे सहज - सरल व्यवहार करना हैं। तभी दु:खो की दरिया से इस समुदाय को बाहर निकाल सकते हैं।
बेहद प्रतिभाशाली और कलावंत समुदाय को मौका देना चाहिए बेहतर प्रदर्शन के लिए। किसी क्षेत्र में सेवाएँ देने के लिए यह समुदाय अब सहज रुप से सामने आने लगे हैं ... यह स्वागतेय पहल हैं।
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